रिपोर्ट- शिखिल ब्यौहार, भोपाल: Demands of Ex MLA विधानसभा के बजट सत्र से पहले मध्यप्रदेश के पूर्व विधायकों ने अपनी सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है। इसके लिए विधानसभा परिसर में पूर्व विधायकों का सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के सामने पूर्व विधायकों ने अपनी समस्याएं गिनाते हुए सरकार से कई मांगे कर डाली। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने साफ-साफ कहा कि ये किसी मांग का मंच नहीं है, लेकिन पूर्व विधायकों की मांग पर विधानसभा समिति ने प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। पूर्व विधायकों की क्या हैं मांगें और विधानसभा समिति के प्रस्ताव पर सरकार का अगला कदम क्या होगा?
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Demands of Ex MLA विधानसभा परिसर में आयोजित सम्मेलन में पूर्व विधायकों ने कई मांगे सरकार के सामने रखी हैं। विधानसभा अध्यक्ष के सामने पूर्व माननीयों ने मौजूदा विधायकों के वेतन की आधी पेंशन की मांग की है।इसके अलावा इन्हें हर दो साल में अपने विधानसभा क्षेत्र के दौरे के लिए उड़नखटोला चाहिए, वो भी मुफ्त। साल में एक बार हवाई यात्रा भी चाहिए, वो भी मुफ्त। रेल सफर के लिए एसी फर्स्ट क्लास की पात्रता की मांग भी कर रहे हैं। कभी सत्ता में तो कभी विपक्ष में रहकर सरकार के गलत कदमों पर उंगली उठाने वाले पूर्व माननीय शायद ये भूल गए हैं कि प्रदेश के हर व्यक्ति पर 40 हजार से ज्यादा का कर्ज है। शायद वित्त विभाग की उस रिपोर्ट से मुखातिब नहीं होंगे जिसमें आम आदमी की आय पर 25 प्रतिशत महंगाई को भारी बताया गया है। आखिर क्या-क्या चाहते हैं अपनी ही सरकार से बीजेपी के पूर्व माननीय?
राजनीति में जब कभी स्वयं की हित की बात होती है, तो हमेशा अलग-अलग राग आलापने वाले भी एक सुर में सधे नजर जाते हैं. इस मामले में भी हुआ। अकसर सरकार पर कर्जदार, फिजूल खर्ची का आरोप लगाने वाले पक्ष और विपक्ष के पूर्व विधायक अपनी मांगों को लेकर एक साथ खड़े हैं। इनका कहना है कि जनता की पांच साल तक सेवा करने वाले पूर्व विधायकों के हितों की चिंता अब तो सरकार करें।
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पूर्व विधायक मंडल के अध्यक्ष जसवंत सिंह ने खुले मंच से कहा कि विधायक आज दो-दो रुपये के लिए परेशान हो रहे हैं। पूर्व विधायकों की एक-एक परेशानियों से वाकिफ भी कराया। मामला पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने ये साफ कहा कि ये किसी मांग का मंच नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि पूर्व विधायकों की मांग पर विधानसभा समिति ने प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। मध्यप्रदेश में फिलहाल 400 से अधिक पूर्व विधायक हैं, जो पेंशन बढ़ाने समेत कई बिन्दुओं पर मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ये मांगें कितनी जायज हैं? क्या इन्हें पूरा किया जाना चाहिए? पूर्व विधायकों की मांगों पर सरकार क्या फैसला लेती है? ये तो वक्त बताएगा।
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