बिना गंभीरता के अपने सह-जीवन साथी पर यौन अपराध का मामला दर्ज करवाने पर महिला पर जुर्माना लगा

बिना गंभीरता के अपने सह-जीवन साथी पर यौन अपराध का मामला दर्ज करवाने पर महिला पर जुर्माना लगा

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  • Publish Date - July 16, 2025 / 10:06 PM IST,
    Updated On - July 16, 2025 / 10:06 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने सह-जीवन साथी के खिलाफ यौन अपराध का मामला ‘‘बिना किसी गंभीरता के’’ दर्ज कराने को लेकर एक महिला पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

न्यायमूर्ति स्वर्णाकांता शर्मा ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 69 (छल से यौन संबंध बनाना आदि) और धारा 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द करने का आदेश दिया।

पंद्रह जुलाई के अदालती फैसले में कहा गया है कि ऐसे आरोपों के गंभीर परिणाम होते हैं और इनका असर न केवल आरोपी पर, बल्कि न्याय प्रशासन पर भी पड़ता है।

उच्च न्यायालय ने महिला की दलील का हवाला देते हुए कहा कि उसने उस समय प्राथमिकी दर्ज करवाई जब वह स्वास्थ्य और भावनात्मक उथल-पुथल से गुज़र रही थी।

अदालती आदेश में कहा गया है,‘‘यद्यपि इस स्पष्टीकरण (महिला का) को विधिवत नोट कर लिया गया है लेकिन इस बात पर ज़ोर देना भी उतना ही ज़रूरी है कि बीएनएस की धाराओं 69 और 351(2) के तहत शारीरिक हमले और गलत तरीके से संयत करने के गंभीर आरोपों से जुड़ी शिकायत को बिना किसी गंभीरता के दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

न्यायाधीश ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को फंसाया गया हो या आरोप किसी वास्तविक गलतफहमी से उत्पन्न हुए हों, तो ऐसे व्यक्ति को मुक़दमे के लिए बाध्य करना निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करेगा।

अदालत ने कहा,‘‘शिकायतकर्ता की अनिच्छा और पक्षों के बीच बाद में हुए समझौते के बावजूद, आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कोई फ़ायदा नहीं होगा और यह क़ानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।’’

अदालत ने महिला के इस दावे पर गौर करते हुए उस पर जुर्माना लगाया कि उसने ‘‘गलतफहमी के आधार’ शिकायत दर्ज कराई और याचिकाकर्ता के साथ स्वेच्छा से रिश्ते में होने के बावजूद आपराधिक कानूनी मशीनरी को गति दी।

महिला को चार हफ़्तों के भीतर दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के पास जुर्माने की राशि जमा करने का आदेश दिया गया।

भाषा राजकुमार माधव

माधव