नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) दो दिन पहले अपने मीडिया संवाद में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति को लेकर उठे विवाद को शांत करते हुए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने रविवार को कहा कि ऐसा इरादतन नहीं किया गया था।
मुत्तकी ने यह बात नयी दिल्ली में तीन दिनों में दूसरे संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही, जिसमें कई महिला पत्रकारों ने भाग लिया।
शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में महिला पत्रकारों को शामिल न करने के लिए भारत के विपक्षी दलों और पत्रकारों की ओर से अफगान विदेश मंत्री की कड़ी आलोचना की गई थी।
दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (जैसा कि तालिबान कहते हैं) का एक बड़ा झंडा अफगान दूतावास के सम्मेलन कक्ष में मुत्तकी की कुर्सी के पीछे लगाया गया था, जबकि एक छोटा झंडा सामने की ओर लगाया गया था।
अफगान विदेश मंत्री को अपने पिछले संवाददाता सम्मेलन में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति से उपजे विवाद पर सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा, “जहां तक संवाददाता सम्मेलन की बात है, इसे अल्प सूचना पर आयोजित किया गया था। पत्रकारों की एक छोटी सूची तय की गई थी। यह एक तकनीकी मुद्दा था।”
मत्तकी ने कहा कि महिला पत्रकारों को बाहर रखने की कोई मंशा नहीं थी।
उन्होंने कहा, “हमारे सहयोगियों ने विशिष्ट पत्रकारों को निमंत्रण भेजने का निर्णय लिया था तथा इसके अलावा कोई अन्य इरादा नहीं था।” अफगान विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि किसी के भी अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए – चाहे वह पुरुष हो या महिला।
कई विपक्षी नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति को “अस्वीकार्य” और “महिलाओं का अपमान” बताया। कई मीडिया संस्थाओं ने भी अफगान विदेश मंत्री की आलोचना की।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रेस वार्ता में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी।
झंडे के बारे में और यह पूछे जाने पर कि क्या नयी दिल्ली स्थित अफगान दूतावास तालिबान का है, क्योंकि भारत ने अभी तक इसे मान्यता नहीं दी है, मुत्तकी ने कहा कि यह मिशन “हमारा” है।
उन्होंने कहा, “यह हमारा झंडा है। यह 100 प्रतिशत हमारा दूतावास है। यहां काम करने वाले सभी लोग हमारे साथ हैं।”
शुक्रवार को दूतावास में एक अफगान युवक ने मीडिया वार्ता स्थल पर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान का बड़ा झंडा लगाने के प्रयासों को यह कहते हुए रोक दिया कि नयी दिल्ली ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है।
दूतावास के मुख्य ध्वजस्तंभ पर अब भी अफगान गणराज्य का ध्वज लगा हुआ है।
अपनी ब्रीफिंग में मुत्तकी ने शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई बैठक के परिणामों को भी दोहराया, जिसे उन्होंने पिछली मीडिया वार्ता में सूचीबद्ध किया था।
मुत्तकी बृहस्पतिवार को छह दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे थे। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के सत्ता से हटने और तालिबान के सत्ता अपने हाथों में लेने के चार साल बाद तालिबान सरकार के किसी नेता की भारत की यह पहली उच्च-स्तरीय यात्रा है। भारत ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है।
भाषा
प्रशांत नरेश
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