पर्यटन संबंधी गतिविधियों को मंजूरी देने में चाय की खेती से समझौता नहीं करेंगे : ममता

पर्यटन संबंधी गतिविधियों को मंजूरी देने में चाय की खेती से समझौता नहीं करेंगे : ममता

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  • Publish Date - February 25, 2025 / 08:23 PM IST,
    Updated On - February 25, 2025 / 08:23 PM IST

कोलकाता, 25 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार पर्यटन संबंधी गतिविधियों को मंजूरी देते समय चाय की खेती से कोई समझौता नहीं करेगी।

यहां राज्य सचिवालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ममता ने स्पष्ट किया कि सरकार ने पहले केवल उस भूमि पर पर्यटन परियोजनाओं के संचालन की अनुमति देने का फैसला किया था, जहां चाय की फसल नहीं उगाई जाती है।

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार चाय की खेती के लिए पट्टे पर जमीन देती है, फ्रीहोल्ड आधार पर नहीं। हमने चाय बागान की 15 फीसदी जमीन का इस्तेमाल होटल और होमस्टे जैसी पर्यटन संबंधी गतिविधियों के लिए करने की अनुमति दी थी, लेकिन सिर्फ उन्हीं जगहों पर जहां चाय की खेती नहीं की जाती।”

ममता ने कहा कि ऐसे वैकल्पिक व्यावसायिक उपक्रमों में 80 फीसदी कार्यबल स्थानीय निवासियों का होना चाहिए।

उन्होंने कहा, “सरकार चाय की खेती के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। यह हमारा स्पष्ट रुख है। जहां चाय की फसल नहीं होती, वहां पर्यटन से जुड़ी अन्य व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन मामलों में चाय बागान मालिकों को पर्यटन संबंधी गतिविधियों के लिए 15 फीसदी से अधिक भूमि की आवश्यकता होगी, उनमें सरकार मामला-दर-मामला आधार पर अनुरोधों का मूल्यांकन करेगी, बशर्ते भविष्य निधि (पीएफ), ग्रेच्युटी या श्रमिकों के वेतन से संबंधित कोई बकाया न हो।

उन्होंने कहा, “अगर बागान मालिक 15 फीसदी से अधिक भूमि के इस्तेमाल की इजाजत मांगते हैं, तो सरकार हर अनुरोध पर अलग से परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेगी।”

ममता ने इस बात पर जोर दिया कि चाय श्रमिकों को किसी भी परिस्थिति में परेशान न किया जाए और आदिवासियों की भूमि अपने असली मालिकों के पास ही रहेगी।

उन्होंने बताया कि सरकार ने बंद पड़े छह चाय बागानों को तीन साल का पट्टा दिया है, जिससे मालिकों के लिए काम फिर से शुरू करवाना और श्रमिकों को वेतन देना संभव हो पाया है।

ममता ने कहा, “अगर ये बागान सफलतापूर्वक संचालित होते हैं, तो पट्टे की अवधि 30 साल तक बढ़ा दी जाएगी।”

भाषा पारुल वैभव

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