द्रोह काल से की करियर की शुरुआत, भीखू म्हात्रे और शूल फिल्म ने दी असली पहचान…
द्रोह काल से की करियर की शुरुआत : Career started from Drohkaal, Bhiku Mhatre and Shoot film gave real identity...
मुंबई । आज हिंदी फिल्मों के धाकड़ अभिनेता मनोज बाजपेयी का 54वां जन्मदिन है। मनोज बाजपेयी अपनी फिल्मों से ज्यादा अपनी नेचुरल एक्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। ओम पुरी, पंकज कपूर, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह के बाद मनोज बाजपेयी ही ऐसे अभिनेता रहे। जिन्होंने हिंदी फिल्मों में अपने रियलिस्टिक एक्टिंग से लोहा मनवाया। शाहरुख और मनोज ने अपने करियर के शुरुआत में एक टीवी शो में साथ में काम किया था। मनोज बाजपेयी को बड़ा ब्रेक राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या से मिला। फिल्म में जेडी चक्रवर्ती ने मुख्य भूमिका निभाई थी लेकिन भिखू महात्रे के रोल में मनोज बाजपेयी छा गए। सत्या फिल्म को आज भी भिखू महात्रे यानि मनोज वाजपेयी के लिए जाना जाता है।
मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल, 1969 को बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित बेलवा गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। बाजपेयी को बचपन से ही एक्टिंग का कीड़ा था। हाई स्कूल की पढ़ाई बिहार के बेतिया जिले के के.आ हाई स्कूल से पूरी करने के बाद वह दिल्ली आ गए। यहां यूनिवर्सिटी में एक्टिंग के लिए प्लेटफॉर्म भी मिला। मनोज बाजपेयी ने घर में इसकी जानकारी दी, तो विरोध हुआ। मगर हार न मानते हुए मनोज बाजपेयी ने कॉलेज के दिनों में थिएटर से जुड़ना शुरू कर दिया था।
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मनोज ने अपने करियर की शुरुआत साल 1997 की फिल्म द्रोहाकाल से की। इसके बाद वे ‘बैंडिट क्वीन’ फिल्म में भी नजर आए लेकिन उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म सत्या साबित हुई। सत्या के बाद मनोज सूल नाम की फिल्म में नजर आए। इस फिल्म में मनोज के एक्टिंग का अलग लेवल देखने को मिला। क्लाइमैक्स में जिस प्रकार संसद भवन में मनोज इमोशनल और दमदार डॉयलाग बोले वे काफी शानदार थी।

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