The head was chopped off in obedience to the mother's orders

मातृ आज्ञा के पालन में कटा दिए शीश लेकिन नहीं जाने दिया महादेव को अंदर ….जानें क्या है ‘गजराज शीश’ की कहानी

आज गणेश चतुर्थी है पूरे संसार में प्रभु गणेश की मूर्ती स्थापित की जा रही है। बुद्धी और विवेक के दाता श्री गणेश में अनेक खूबियां हैं लेकिन मै जो आपको यहां बतानें जा रहा हूं। वो आपको अपनी माता के लिए सम्मान और करुणा की भावना जाग्रित करेगी। प्रथम पूज्य गणेश को हर देवता मानते हैं।विघ्न हरता के दिल कितना मातृ प्रेम की भावना है वो आज हम आपको बतानें जा रहें हैं।

Edited By :   Modified Date:  November 28, 2022 / 11:11 PM IST, Published Date : August 31, 2022/11:20 am IST

Lord Ganesh Head Story: आज गणेश चतुर्थी है पूरे संसार में प्रभु गणेश की मूर्ती स्थापित की जा रही है। बुद्धी और विवेक के दाता श्री गणेश में अनेक खूबियां हैं लेकिन मै जो आपको यहां बतानें जा रहा हूं। वो आपको अपनी माता के लिए सम्मान और करुणा की भावना जाग्रित करेगी। प्रथम पूज्य गणेश को हर देवता मानते हैं।विघ्न हरता के दिल कितना मातृ प्रेम की भावना है वो आज हम आपको बतानें जा रहें हैं। श्री गणेश जितने बुद्धी, विवेक के दाता हैं। उतनें ही माता की आज्ञा के पालक भी हैं। आपको यह बात समझ आ जाए इसिलिए हम आपको पूरी कहानी सें परिचित करवाएंगें। शिवपुराण के मुताबिक गणेश जी नें भगवान शिव को गुफा गर्भ में प्रवेश करनें से रोक लिया था।     >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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शीश कटा कर भी माता कि आज्ञा का पालन

भारतीय संस्कृति के 18 पुराणों में से एक शिव पुराण में यह वर्णित है कि, माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी लगाई थी, इसके बाद जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी उतारी तो उससे उन्होंने एक पुतला बना दिया। पुतले में बाद में उन्होंने प्राण डाल दिए। इस तरह से विनायक पैदा हुए थे। इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिए कि तुम मेरे द्वार पर बैठ जाओ और उसकी रक्षा करो, किसी को भी अंदर नहीं आने देना।कुछ समय बाद शिवजी घर आए तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्वती से मिलना है। इस पर गणेश जी ने मना कर दिया और कहा कि खबरदार कोई भी अंदर नहीं जाएगा। शिवजी को नहीं पता था कि ये कौन हैं।

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कैसे मिला गजाराज का शीश 

इसके बाद दोनों में विवाद हो गया और उस विवाद ने युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस दौरान शिवजी ने अपना त्रिशुल निकाला और गणेश का सिर काट डाला।पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। उन्होंने शिवजी से कहा कि आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिवजी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है। इसके बाद पार्वती ने शिवजी को पूरी कथा बताई। हालांकि, पार्वती भड़क जाती हैं और शिवजी पर गुस्सा करने लगती हैं। इसके बाद शिवजी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए।

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इस पर उन्होंने अपने गणों से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और वहां कोई भी प्राणी मिले उसका सिर ले जाओ। वहां उन्हें भगवान इंद्र का हाथी एरावत मिलता है और वे उसका सिर ले आए। इसके बाद भगवान शिवजी ने गणेश के अंदर प्राण डाल दिए। इस तरह श्रीगणेश को हाथी का सिर लगा।

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