अब नक्सलियों के लिए नहीं प्राकृतिक ‘गुलाल’ के ​लिए जाना जाएगा दरभा, पलाश के फूलों से तैयार कर रही हैं होली के रंग

अब नक्सलियों के लिए नहीं प्राकृतिक 'गुलाल' के ​लिए जाना जाएगा दरभा, पलाश के फूलों से तैयार कर रही हैं होली के रंग! herbal gulal manufacturer

अब नक्सलियों के लिए नहीं प्राकृतिक ‘गुलाल’ के ​लिए जाना जाएगा दरभा, पलाश के फूलों से तैयार कर रही हैं होली के रंग
Modified Date: March 4, 2023 / 09:22 am IST
Published Date: March 4, 2023 9:22 am IST

सुकमा: herbal gulal manufacturerl होली के लिए आजकल बाजारों में मिलने वाल चटक और आकर्षक रंग केमिकलयुक्त होते हैं। जिससे स्किन को नुकसान पहुंचता है। यही नहीं बाजार में मिलने वाले ये रंग बच्चों के स्किन के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। सांस के माध्यम से भी केमिकलयुक्त रंग हमारे शरीर में पहुंचकर फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाते हैं इसीलिए विशेषज्ञ ये सलाह देते हैं कि होली के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रंग केमिकल फ्री होने चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए दरभा के अल्वा गांव में पटेलपारा की महिलाएं पलाश के फूलों से होली के लिए गुलाल तैयार कर रही हैं। बिहान की इन महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे प्राकृतिक गुलाल पूरी तरह से केमिकल फ्री हैं इसीलिए ये गुलाल बाजार में मिलने वाले रंगों की जगह अच्छा विकल्प साबित होंगे।

Read More: दर्दनाक सड़क हादसा: ट्रेलर और एक बस की जबरदस्त टक्कर, 7 लोगों की थमी सांसे, कई घायल 

herbal gulal manufacturer गेंदा फूल स्व-सहायता समूह से जुड़ी लगभग 12 महिलाओं के इस समूह ने अब तक 50 किलो के आस-पास गुलाल तैयार कर लिया है। जिन्हें ग्राम पंचायत के माध्यम से सीमार्ट तक पहुंचाया जा रहा है जहां से आम नागरिक केमिकल फ्री गुलाल खरीद सकेंगे। इन रंगों को तैयार करने के लिए पलाश के फूलों को सुखाकर पाउडर बनाया गया, जिसके बाद इसमें मक्के का आटा मिलाकर चिकना किया गया। इन्हें रंगीन बनाने के लिए भी प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल किया गया है। जैसे लाल रंग के लिए लाल भाजी, पीला रंग के लिए हल्दी और हरे रंग के लिए मेथी और हरे रंग की भाजियों का इस्तेमाल किया गया है।

 ⁠

Read More: कवर्धा में फिर हिंसक झड़प, झंडे को लेकर जमकर हुआ हंगामा, गोंडवाना समाज के जिलाध्यक्ष सहित 150 से अधिक लोग गिरफ्तार

समूह की सदस्य सावित्री मंडावी का कहना है कि उन्हें 1 क्विंटल गुलाल बनाने का ऑर्डर मिला था, जिसे उनके समूह की महिलाएं बड़ी मेहनत से तैयार कर रही हैं। सावित्री बताती हैं कि उनका यह गुलाल केमिकल फ्री होने की वजह से स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं है। इसे बच्चे-बूढ़े सभी उपयोग कर सकते हैं। स्थानीय बाजारों में भी ये महिलाएं अपने प्राकृतिक गुलाल को बेचेंगी।

Read More: राजधानी के BTI ग्राउंड में राज्य स्तरीय महिला सम्मेलन आज, सीएम भूपेश बघेल होंगे शामिल 

प्राकृतिक गुलाल बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पलाश के फूल के कई नाम हैं। इसे टेसू, ढाक, परसा, केशुक, और केसू भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऋतुराज वसंत की सुंदरता पलाश के बिना पूरी नहीं होती है। पलाश के फूल को वसंत का श्रृंगार माना जाता है।

 

 

 

 


लेखक के बारे में

"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"