Kargil Vijay Diwas: Know How Indian Army Won War Against Pakistan

कारगिल विजय दिवस! जहां से पत्थर का टुकड़ा गिरता था तोप के गोले के समान, ऐसी ऊंचाई पर भारतीय जवानों ने पाकिस्तानियों को चटाई धूल

ऐसी ऊंचाई पर भारतीय जवानों ने पाकिस्तानियों को चटाई धूल! Kargil Vijay Diwas 2022: Know How Indian Army Won War Against Pakistan

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : July 25, 2022/4:36 pm IST

रायपुरः Kargil Vijay Diwas 26 जुलाई यानि देश की इतिहास का वो दिन जिसे यादकर आंखों में आंसू आ जाते हैं तो गर्व से सीना चौड़ा भी हो जाता है। दरअसल 60 दिनों तक जंग के बाद भारतीय जवानों ने पाकिस्तानियों को देश की सीमा से दूर खदेड़ दिया है। कारगिल युद्ध वह चौथा मौका था, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरा और पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी। इससे पहले भारतीय सैनिक 1948, 1965 और 1971 में पाकिस्तानी सैनिकों पर भारी पड़े थे। इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 से अधिक जवानों की शहादत हुई थी। बता दें कि हाल ही मैं आपने एक फ़िल्म देखी होगी, जिसका नाम है शेरशाह। इस फ़िल्म में एक जाबाज़ भारतीय सिपाही कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी बताई गई है। परमवीर चक्र से सम्मानित विक्रम बत्रा ने कारगिल के युद्ध में अपनी शहादत दी और मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित भी किया गया। इस विजय की याद में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है, इस बार इसकी 23 वी वर्षगांठ मनाई जा रही है। आइए आपको कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि से लेकर अनेक जबाजों के विजय के कई किस्से बताते हैं जिन्हें जानकर आपके मन में देशप्रेम के साथ साथ कारगिल के शहीदों के प्रति सम्मान और बढ़ जाएगा।

इसलिए हुआ कारगिल युद्ध

Kargil Vijay Diwas कारगिल युद्ध के मुख्य कारण की जब हम बात करते हैं तो उस वक्त कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिए घुसपैठ करने की जो साजिश हो रही थी उसके पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार माना जाता है। जब कारगिल युद्ध हुआ था उससे पहले की स्थिति पर हम नजर डालें तो हमें पता चलता है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद राजस्थान के पोखरण में एक परमाणु परीक्षण किया था और जब यह परमाणु परीक्षण किया गया तो कारगिल के दूसरे पक्ष पाकिस्तान ने भी जवाबी परीक्षण किया और इससे दोनों देश के आपसी संबंध पहले काफी तनावपूर्ण हो गए थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने का निर्णय लिया और इसी दौर में बस से यात्रा करते हुए वे पाकिस्तान पहुंचे।

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ऐसे शुरू हुआ ऑपरेशन विजय

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत भी किया और इसके बाद दोनों देशों ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही दोनों देशों के मध्य बेहतर बेहतर संबंध बनाने का निर्णय किया गया। लेकिन ये बात तत्कालीन पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ को रास नहीं आई। बताया जाता है कि दोनों देशों के बीच शांति बहाल न हो इसीलिए उन्होंने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजा। पाकिस्तानी सेना ने इस ऑपरेशन को ’ऑपरेशन बद्र’ नाम दिया था। मुशर्रफ का मुख्य उद्देश्य था कि कश्मीर और लद्दाख के बीच जो कड़ी है उसे तोड़ दिया जाना चाहिए और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटा देना चाहिए। भारत को इस घुसपैठ का पता मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना से चला था।

इसके बाद बटालिक सेक्टर में तैनात लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया ने पेट्रोलिंग पार्टी भेजी, जिस पर पाकिस्तानी सैनिकों ने हमला किया। इसके बाद घुसपैठियों को लेकर सचेत किया गया। शुरुआत में भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को जिहादी समझा था और उन्हें खदेड़ने के लिए अपने सैनिक कम संख्या में भेजे थे। लेकिन घुषपेठियों की ओर से हुए जवाबी हमले और एक के बाद एक कई इलाकों में घुसपैठियों के मौजूद होने की खबर के बाद भारतीय सेना को इतना समझने में बिलकुल भी देर नहीं लगी कि यह जो कुछ भी हो रहा है यह वास्तविकता में एक योजनाबद्ध तरीके से और बड़े स्तर पर की गई घुसपैठ थी। भारतीय सेना को पता चला कि इस घुसपैठ में केवल जिहादी नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी और यह समझ में आते ही भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया।

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इसके अलावा इस युद्ध के कारणों को हम गहराई से जानने की कोशिश करें तो कई बातें निकलकर सामने आती है। आपको बता दें कश्मीर का जो कारगिल क्षेत्र है, वहां की सामरिक महत्त्व की ऊंची चोटियां भारत के अधिकार क्षेत्र में आती हैं और उन ऊंची ऊंची चोटियों पर ठंड के समय रहना बहुत कठिन और दुखदायी होता है। यही वजह है कि भारतीय सेना भीषण शीत में यहां नहीं रहती थी। इसी बात का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी सेना को भी कारगिल पर क़ब्ज़ा करने के लिए भेज दिया था। इस बात को भी कई बार कहा गया कि पाकिस्तान ने सीमा सम्बन्धी नियमों का उल्लघंन किया था। लेकिन पाकिस्तान के पास एक सदाबहार बहाना था कि कारगिल की चोटियों पर हमने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने क़ब्ज़ा किया होगा, हमें इस बात की कोई सूचना नहीं है। पाकिस्तानी सेना ने ऐसा कोई कृत्य नहीं किया है।

अब ऐसी हालत में हमारी सेना के सामने एक बड़ी चुनौती यह थी कि दुश्मन काफ़ी ऊंचाई पर थे, जो भारतीय सेना को आसानी से अपना निशाना बना सकते थे। लेकिन वहीं भारतीय सेना के जवानों के बुलंद हौसले के सामने पाकिस्तानियों का साहस पैर के धूल के बराबर भी नहीं ये बात हर भारतीय जानता है। जवानों ने आखिरकार पाकिस्तानियों पर हमला बोल दिया और इस मिशन को नाम दिया ’ऑपरेशन विजय’। इस ऑपरेशन में 30,000 हज़ार भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था।

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कारगिल जंग पूरा घटनाक्रम

  • 3 May,1999 : एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचनी दी।
  • 5 May : भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी।
  • 9 May : पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया।
  • 10 May : पहली बार लदाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया।
  • 26 May : भारतीय वायुसेना को कार्यवाही के लिए आदेश दिया गया।
  • 27 May : कार्यवाही में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया और फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बना लिया।
  • 28 May : एक मिग-17 हैलीकॉप्टर पाकिस्तान द्वारा मार गिराया गया और चार भारतीय फौजी मरे गए।
  • 1 June : एनएच- 1A पर पकिस्तान द्वारा भरी गोलाबारी की गई।
  • 5 June : पाकिस्तानी रेंजर्स से मिले कागजातों को भारतीय सेना ने अखबारों के लिए जरी किया, जिसमें पाकिस्तानी रेंजर्स के मौजूद होने का जिक्र था।
  • 6 June : भारतीय सेना ने पूरी ताकत से जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी।
  • 9 June : बाल्टिक क्षेत्र की 2 अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमा लिया।
  • 11 June : भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ लेफ्टीनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत का रिकॉर्डिंग जारी किया, जिससे जिक्र है कि इस घुसपैंठ में पाक आर्मी का हाथ है।
  • 13 June : भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलिंग पर कब्जा कर लिया।
  • 15 June : अमेरिकी राष्ट्रपति बिल किलिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि वह अपनी फौजों को कारगिल सेक्टर से बहार बुला लें।
  • 29 June : भारतीय सेना ने टाइगर हिल के नजदीक दो महत्त्वपूर्ण चौकियों पोइंट 5060 और पोइंट 5100 को फिर से कब्जा लिया।
  • 2 July : भारतीय सेना ने कारगिल पर तीन तरफ से हमला बोल दिया।
  • 4 July : भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा पा लिया।
  • 5 July : भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर पर पुनः कब्ज़ा किया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बिल किलिंटन को बताया कि वह कारगिल से अपनी सेना को हटा रहें है।
  • 7 July : भारतीय सेना ने बटालिक में स्तिथ जुबर हिल पर कब्जा पा लिया।
  • 11 July : पाकिस्तानी रेंजर्स ने बटालिक से भागना शुरू कर दिया।
  • 14 July : प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा कर दी।
  • 26 July : पीएम ने इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाए जाने का किया।

‘ऑपरेशन विजय’: सेना और वायुसेना ने चटाई पाक सैनिकों को धूल

पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। स्थानीय चरवाहों के जरिये घुसपैठ की जानकारी मिलने पर भारतीय सेना ने 3 मई को ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की थी। 11 मई से इस युद्ध में भारतीय वायुसेना भी शामिल हो गई थी, वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हेलीकॉप्टर ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की कमर तोड़कर रख दी थी।

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक ऐसा युद्ध था, जिसमें हिंद की फौज ने करीब 18 हजार फुट से ज्यादा ऊंची चोटियों पर बैठे दुश्मनों को मार भगाया था। पाकिस्तान कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने वाली सड़क को अपने कब्जे में लेना चाहता था। साथ ही वह चाहता था कि सियाचिन ग्लेशियर से भी भारतीय सेना हट जाए। जानकारी के अनुसार इसके लिए जनरल परवेज मुशर्रफ ने ऑपरेशन बद्र शुरू करके करीब 5000 सैनिकों को मुजाहिद्दीनों के भेष में कारगिल भेज दिया।

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शुरुआत में तो पाकिस्तानी सैनिक एक एक करके या धीरे-धीरे करके कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाने में कामयाब हुए। पाकिस्तानी सैनिक अपनी पूरी तैयारी के साथ गए थे। इस बात का पता इससे लगता है कि वह अपने साथ भारी मात्रा में हथियार और खाने पीने का सामान भी लेकर गए थे। पाकिस्तानी सेना जानती थी कि अगर भारत के साथ युद्ध हुआ तो लंबा और विस्तृत चलेगा, इसलिए पाकिस्तानी सैनिक युद्ध के लिए पूरी तरह तैयारी करके आए थे। और जब भारतीय सेना को पाकिस्तान की इस भयानक साज़िश की ख़बर पड़ी तो पाकिस्तानी सेना को एक बड़ा सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ ऑपरेशन विजय शुरू किया गया। बताया जाता है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान से युद्ध लड़ने के लिए लगभग 2 लाख सैनिकों को कारगिल की ओर कारगिल की ओर रवाना किया। इसके बाद यह पूरा ऑपरेशन करीब 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को ही इसका अंत हुआ था।

527 भारतीय जवानों ने दी थी शहादत

18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का यह युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी। 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की इस जंग में मौत हुई। भारतीय सेना ने अदम्य साहस से जिस तरह कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ा, उस पर हर देशवासी को गर्व है। यह सैन्य ऑपरेशन 26 जुलाई यानी आज ही दिन समाप्त हुआ था।

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