Amla Navami 2025: क्या हुआ जब आंवला बन गया कल्पवृक्ष? अक्षय फल की प्राप्ति के लिए ज़रूर पढ़ें आंवला नवमी की दिव्य कथा एवं आरती।

पौराणिक ग्रंथों में आंवला नवमी को सत्य युग की शुरुआत माना गया। इस दिन सृष्टि का पुनर्निर्माण हुआ और आंवला वृक्ष कल्पवृक्ष बना। मान्यता है कि इस दिन जो भी दान या पूजा की जाए, वह कभी नष्ट नहीं होती..

Amla Navami 2025: क्या हुआ जब आंवला बन गया कल्पवृक्ष? अक्षय फल की प्राप्ति के लिए ज़रूर पढ़ें आंवला नवमी की दिव्य कथा एवं आरती।

Amla Navmi 2025

Modified Date: October 28, 2025 / 05:07 pm IST
Published Date: October 28, 2025 5:00 pm IST

Amla Navami 2025: आंवला नवमी (जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है) 2025 में 31 अक्टूबर, शनिवार को मनाई जाएगी। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर पड़ती है। नवमी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह 6:17 बजे से शुरू होकर 31 अक्टूबर को सुबह 7:45 बजे तक रहेगी। उदय तिथि 31 अक्टूबर को होने से पूजा इसी दिन करें। यह पर्व गोवर्धन पूजा के ठीक पहले आता है और भगवान विष्णु तथा आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व रखता है।
कार्तिक शुक्ल नवमी, यानी 31 अक्टूबर 2025, वह दिन जब आंवला वृक्ष बन जाता है साक्षी, और भगवान विष्णु की कृपा बरसने लगती है। आंवला नवमी (अक्षय नवमी) केवल एक व्रत नहीं, बल्कि अक्षय सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का द्वार है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा से पाप धुलते हैं, रोग भागते हैं, और जीवन में कभी न समाप्त होने वाला पुण्य संचय होता है।

ब्रजभूमि में लाखों भक्त मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करते हैं, तो घर-घर में महिलाएं व्रत रखकर लक्ष्मी को आमंत्रित करती हैं। आइए, इस पावन पर्व की कथा, महत्व और विधि को गहराई से समझें।
आंवला नवमी के दिन किया गया दान और पूजा का फल कभी खत्म नहीं होता है, इसीलिए इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस दिन किए गए शुभ कार्यों, पूजा और दान को ‘अक्षय’ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसका फल कभी नष्ट नहीं होता। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पूजा से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा मिलती है।

अक्षय फल: ‘अक्षय’ का अर्थ है ‘जिसका कभी क्षय न हो’। इसलिए इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजा का फल हमेशा मिलता रहता है।
भगवान विष्णु का वास: यह माना जाता है कि भगवान विष्णु का वास आंवले के पेड़ में होता है, इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना भगवान विष्णु की पूजा के समान है।
देवी लक्ष्मी की कृपा: इस दिन पूजा और दान-पुण्य से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और भक्त के घर में सुख-समृद्धि आती है।
विभिन्न दान: इस दिन आंवला, अन्न, वस्त्र, धातु के बर्तन (खासकर तांबे और पीतल के) और पीले वस्त्र जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

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Amla Navami 2025: जब आंवला बन गया कल्पवृक्ष

कार्तिक शुक्ल नवमी, 31 अक्टूबर 2025, शनिवार। सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में जब पहली किरण आंवले के पत्तों पर पड़ती है, तब सत्य युग का पुनर्जन्म होता है। यह आंवला नवमी नहीं, अक्षय नवमी है। वह पावन तिथि जब हर दान अक्षय, हर पूजा अक्षय, हर फल अक्षय हो जाता है। जब आंवला वृक्ष कल्पवृक्ष बन जाता है, जिसमें भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और 33 कोटि देवता निवास करते हैं। यह पर्व सत्य युग की शुरुआत का प्रतीक है, जहां हर दान-पुण्य अक्षय हो जाता है। आंवला दर्शन से 100 यज्ञ, स्नान से 1000 यज्ञ और परिक्रमा से पितृ दोष नाश का फल मिलता है।

Amla Navami 2025: सेहत के लिए फायदेमंद

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से आंवला सुपरफूड है, जिसमें संतरे से 20 गुना अधिक विटामिन सी होने से कैंसर, डायबिटीज और हृदय रोग से रक्षा होती है, जबकि आध्यात्मिक रूप से यह दीर्घायु, समृद्धि, संतान सुख और पाप-नाश का स्रोत है। आईये अब आपको बताते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त अवं सरल पूजा विधि..

Amla Navami 2025: कोढ़ से मुक्ति की अनसुनी कहानी

एक बार एक ब्राह्मण की पत्नी गंगा स्नान कर रही थी, जब एक मछली उसके पैरों में आ गई। क्रोधित होकर उसने उसे मार डाला। परिणामस्वरूप, उसे भयंकर कोढ़ हो गया। पति के कहने पर वह गंगा माता के पास पहुंची और रो-रोकर सारी कथा सुनाई। गंगा ने कहा, “कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला वृक्ष की पूजा कर, आंवला खाओ – तुम्हारा रोग मिट जाएगा।” ब्राह्मणी ने ऐसा किया। आंवला के प्रभाव से न केवल कोढ़ ठीक हुआ, बल्कि उसे सौभाग्य और धन की प्राप्ति हुई। यह कथा सिखाती है कि आंवला विष्णु का प्रिय फल है, जो विष्णु कृपा से अक्षय फल देता है। एक अन्य कथा में, यह सत्य युग की शुरुआत का प्रतीक है, जब सत्य का उदय हुआ।
पुराणों में भी ये वर्णन है कि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा, “हे प्रभु, ऐसा कौन-सा वृक्ष है जिसकी पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है?”
तब भगवान विष्णु बोले, “हे देवी, आंवला वृक्ष मेरी ही शक्ति से उत्पन्न हुआ है, जो भक्त इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है। इसी कारण इस दिन को अक्षय नवमी कहा जाता है।

आंवला नवमी की सरल किंतु चमत्कारी पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें, आंवला वृक्ष को गंगा जल और पंचामृत से स्नान कराएं, हल्दी-कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं, विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। 7 ताजे आंवला फल चढ़ाकर लाल धागे से 7 गांठ बांधें, 7 परिक्रमा में प्रत्येक चक्कर पर “ॐ नमो नारायणाय” बोलें, ब्राह्मणी कथा का भावपूर्ण पाठ करें।
वृक्ष के नीचे खीर, पूड़ी, आंवला हलवा बनाकर विष्णु को भोग लगाएं, ब्राह्मण को 11 आंवला, 11 रुपये, अनाज, वस्त्र दान करें, निर्जला व्रत रखें और सूर्यास्त पर आंवला, मिश्री, तुलसी से परण करें। आरती में आरती में “ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे” आरती गाएं, जो सभी पापों को दूर कर, हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।”

आंवला नवमी की आरती

ॐ जय आंवला माता, मैया जय आंवला माता।
विष्णु प्रिया, लक्ष्मी स्वरूपा, सत्य युग की दाता॥

कार्तिक शुक्ल नवमी को, पूजा करे जो कोई।
कोढ़ मिटे, रोग नाश हो, धन-धान्य की होई॥

दूध-दही से स्नान कराओ, हल्दी-कुमकुम चढ़ाओ।
सात परिक्रमा कर लो, अक्षय फल पाओ॥

आंवला खाओ, दान करो, पाप सब मिट जाए।
मैया की कृपा से, जीवन सुखमय हो जाए॥

जय आंवला माता, जय अक्षय नवमी।
विष्णु-लक्ष्मी कृपा से, घर में सदा सुख-शांति॥

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.