Chhattisgarh PDS scam: पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट से बड़ा झटका

Chhattisgarh PDS scam: इससे पहले इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसले को कोर्ट ने रिजर्व रखा था । बता दें कि, पूर्व महाधिवक्ता ने रायपुर की ACB कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी।

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  • Publish Date - February 13, 2025 / 06:14 PM IST,
    Updated On - February 13, 2025 / 06:20 PM IST

Chhattisgarh PDS scam, image source: ibc24

HIGHLIGHTS
  • ACB-EOW द्वारा दर्ज नई FIR मामले में पूर्व महाधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी लगाई
  • सतीश चंद्र वर्मा को निचली अदालत के बाद अब हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका

बिलासपुर: Chhattisgarh PDS scam, पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को निचली अदालत के बाद अब हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है । कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। ACB-EOW द्वारा दर्ज नई FIR मामले में पूर्व महाधिवक्ता ने अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी। जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने यह निर्णय सुनाया है ।

इससे पहले इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसले को कोर्ट ने रिजर्व रखा था । बता दें कि, पूर्व महाधिवक्ता ने रायपुर की ACB कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। रायपुर की ACB कोर्ट की जिला सत्र न्यायाधीश निधि शर्मा द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी थी। ACB कोर्ट ने पूर्व महाधिवक्ता की अग्रिम जमानत याचिका को अत्यंत गंभीर मामला बताते हुए खारिज कर दिया था।

Chhattisgarh PDS scam, इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह आईएएस अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला अक्टूबर 2019 में जमानत देने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के संपर्क में थे । ईडी ने दावा किया था कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों और न्यायाधीश के बीच संपर्क बनाए हुए थे। ED ने अदालत में कहा था कि, तीनों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

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1. छत्तीसगढ़ PDS घोटाला क्या है?

छत्तीसगढ़ PDS घोटाला नागरिक आपूर्ति निगम (Nagrik Apoorti Nigam - NAN) से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें राशन वितरण प्रणाली में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है। इसमें नौकरशाहों, राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों की संलिप्तता की जांच की जा रही है।

2. पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अग्रिम जमानत क्यों नहीं मिली?

पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पहले निचली अदालत और अब हाईकोर्ट द्वारा यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि मामला अत्यंत गंभीर है। न्यायालय ने माना कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं और उन्हें जमानत देना न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

3. इस मामले में IAS अधिकारियों की क्या भूमिका थी?

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आरोपी IAS अधिकारी अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला ने अक्टूबर 2019 में जमानत पाने के लिए उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश से संपर्क किया था। इस दौरान तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।

4. क्या ACB और EOW इस मामले की जांच कर रही हैं?

हाँ, छत्तीसगढ़ की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) इस घोटाले की जांच कर रही हैं। उन्होंने नई FIR दर्ज कर कई आरोपियों को निशाने पर लिया है, जिसमें सतीश चंद्र वर्मा भी शामिल हैं।

5. इस मामले में आगे क्या हो सकता है?

अब जब हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, तो पूर्व महाधिवक्ता को गिरफ़्तारी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, मामले की जांच जारी रहने के कारण और भी नए खुलासे हो सकते हैं, जिससे अन्य आरोपियों की भूमिका पर भी असर पड़ सकता है।