Child Investment
Child Investment : माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करना चाहते हैं जैसे कि पीपीएफ, एफडी और आरडी। PPF (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) एक सरकारी योजना है, इसलिए यह सबसे सुरक्षित निवेशों में से एक है। इस योजना में आपका निवेश बाज़ार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता है। PPF में निवेश की गई राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज, दोनों ही टैक्स-फ्री होते हैं। पीपीएफ अकाउंट पर 7.1% ब्याज और टैक्स फ्री रिटर्न मिलता है। 25 साल तक निवेश जारी रखने पर यह करोड़ों का फंड बन सकता है।
हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर उज्जवल एवं सुरक्षित भविष्य पाए। फिर चाहे पढ़ाई हो, नौकरी की शुरुआत या फिर शादी। अगर उस समय माता-पिता बच्चों को अच्छा खासा फंड तोहफे में दे दे तो उससे बड़ी मदद कोई नहीं होती है। बढ़ती महंगाई और ख़र्चों के चलते निवेश करना बहुत ज़रूरी है यही वजह है कि छोटे बच्चों के नाम पर बैंक अकाउंट और निवेश करना आजकल बहुत लोकप्रिय हो गया है। आप किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में जाकर अपना PPF खाता खोल सकते हैं. यह लंबी अवधि में संपत्ति बनाने और भविष्य को सुरक्षित करने का एक बेहतरीन तरीका है।
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कितनी उम्र के बच्चों के नाम पर खुल सकता है पीपीएफ अकाउंट?
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) भारत सरकार द्वारा समर्थित एक निवेश योजना है, और यह सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है। (PPF) पब्लिक प्रॉविडेंट फंड ऐसा अकाउंट है जिसे कोई भी भारतीय अपने या अपने नाबालिक बच्चे के नाम पर खोल सकता है। यह पूरी तरह सरकारी स्कीम है और इसमें निवेश बहुत सुरक्षित रहता है इसमें निवेश करने से आपको सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न मिलता है, साथ ही आयकर अधिनियम के तहत धारा 80C के तहत कर छूट का लाभ भी मिलता है। PPF एक लंबी अवधि का निवेश है जिसका लॉक-इन पीरियड 15 साल है, जिससे आप अपने रिटायरमेंट या बच्चों की शिक्षा जैसे बड़े लक्ष्यों के लिए एक बड़ा फंड बना सकते हैं।
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निवेश सीमा– पीपीएफ अकाउंट में आप सालाना न्यूनतम ₹500 से ₹1.5 लाख तक जमा कर सकते हैं।
मैच्योरिटी पीरियड– 15 साल जिसे आगे 5-5 साल बढ़ाकर कुल 25 साल तक जारी रखा जा सकता है।
ब्याज दर– फिलहाल 7.1% सालाना तिमाही कंपाउंडिंग के साथ इसमें ब्याज दर है।
अगर आप आप बच्चे के जन्म के समय या शुरुआती सालों में पीपीएफ खाता खोलते हैं और हर साल अधिकतम 1.5 लख रुपये जमा करते हैं, तो 25 साल में यह रकम बढ़कर करीब 1 करोड रुपये तक पहुंच सकती है।
इस फंड का इस्तेमाल बच्चा 18 साल की उम्र पूरी होने पर खुद कर सकता है। चाहे वह हाई एजुकेशन हो, नया बिजनेस शुरू करना हो या शादी। उसके लिए बड़ी पूंजी बन जाती है।
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PPF में खाता खोलते वक़्त माता-पिता को पता होने चाहिए यह नियम
– PPF (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) खाता खुलवाते समय माता-पिता को यह पता होना चाहिए कि माता-पिता या कानूनी अभिभावक ही नाबालिग के नाम पर पीपीएफ खाता खोल और संचालित कर सकते हैं।
– अगर दो बच्चे हैं तो एक का खाता मां और दूसरे का पिता खोल सकते हैं।
– नाबालिग के खाते के लिए माता-पिता/अभिभावक के KYC दस्तावेज़ (जैसे आधार, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस), बच्चे का आयु प्रमाण पत्र (जैसे जन्म प्रमाण पत्र या आधार कार्ड) एवं खाता खोलने के फॉर्म की ज़रूरत होगी।
– अभिभावक और नाबालिग दोनों के खाते को मिलाकर सालाना अधिकतम ₹1.5 लाख ही निवेश किया जा सकते हैं।
– बच्चे के 18 साल का होने होते ही अकाउंट का स्टेट्स माइनर से मेजर हो जाएगा और बच्चा खुद इसे मैनेज कर सकेगा।
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बैंक एफडी और आरडी का भी है ऑप्शन
सिर्फ PPF ही नहीं माता-पिता चाहें तो अपने नाबालिक बच्चों के नाम पर बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट भी खुलवा सकते हैं. इसमें 10 साल से ऊपर के बच्चों के नाम पर सेल्फ ऑपरेटेड अकाउंट भी खुल सकता है. इसके अलावा 10 साल से कम उम्र के बच्चों का अकाउंट गार्जियन या माता-पिता ही ऑपरेट करते हैं.
एफडी और आरडी के जरिए नियमित बचत कर बच्चों के लिए एक मजबूत फंड तैयार किया जा सकता है। FD (फिक्स्ड डिपॉज़िट) में एकमुश्त निवेश करके एक निश्चित रिटर्न प्राप्त किया जाता है, जबकि RD (रिकरिंग डिपॉज़िट) में हर महीने छोटी राशि निवेश कर के धीरे-धीरे एक बड़ी रकम इकट्ठी की जाती है। FD उन लोगों के लिए है जिनके पास एकमुश्त राशि है और वे सुरक्षित निवेश चाहते हैं, जबकि RD उन लोगों के लिए बेहतर है जो अनुशासित तरीके से छोटी बचत करना चाहते हैं।दोनों ही सुरक्षित निवेश हैं और इनमें ब्याज दरें निश्चित होती हैं, लेकिन RD की ब्याज दरें FD की तुलना में आमतौर पर थोड़ी कम होती हैं। इसमें बैंकों के नियमों के अनुसार बच्चे का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, अभिभावक का केवाईसी डॉक्यूमेंट और फोटो जरूरी होते हैं।
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PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) खाता EEE श्रेणी (छूट-छूट-छूट) के तहत आता है, जिसका अर्थ है कि इसमें किए गए निवेश पर धारा 80c के तहत कर छूट मिलती है, निवेश से मिलने वाले ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता है, और मैच्योरिटी पर मिलने वाली पूरी राशि भी कर-मुक्त होती है। वहीं एफडी और आरडी पर ब्याज टैक्सेबल होता है. लेकिन यह सुरक्षित निवेश माना जाता है। जिसका मतलब है कि थोड़ी सी वित्तीय प्लानिंग और बच्चों के नाम पर सही निवेश से माता-पिता 15 से 25 साल में करोड़ों का फंड तैयार कर सकते हैं। ऐसे में बच्चे जब बड़े होंगे तो उनके पास पढ़ाई, नौकरी या शादी जैसे बड़े फैसलों में आर्थिक मजबूती पूर्ण रूप से उनकी सहायक होगी।
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