Microsoft discovered a new state of matter: माइक्रोसॉफ्ट ने खोजी पदार्थ की नई अवस्था! बदल सकती है क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा

Microsoft discovered a new state of matter : इस तकनीक के जरिए बैटरी निर्माण, चिकित्सा अनुसंधान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बड़ी क्रांति आ सकती है।

Microsoft discovered a new state of matter: माइक्रोसॉफ्ट ने खोजी पदार्थ की नई अवस्था! बदल सकती है क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा

Microsoft discovered a new state of matter, image source: The Economic Times Hindi

Modified Date: February 25, 2025 / 08:21 pm IST
Published Date: February 25, 2025 8:20 pm IST
HIGHLIGHTS
  • माइक्रोसॉफ्ट का दावा है कि उसने पदार्थ की एक अनोखी अवस्था विकसित की
  • अभेद्य साइबर सुरक्षा प्रणालियों के निर्माण में सहायक
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में आ सकती है बड़ी क्रांति

Microsoft discovered a new state of matter: माइक्रोसॉफ्ट का दावा है कि उसने पदार्थ की एक अनोखी अवस्था विकसित की है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है। यह तकनीक दवा अनुसंधान, जलवायु पूर्वानुमान और यहां तक कि अभेद्य साइबर सुरक्षा प्रणालियों के निर्माण में सहायक हो सकती है।

हम सभी जानते हैं कि पदार्थ की सामान्यतः तीन अवस्थाएँ होती हैं—ठोस, तरल और गैस। हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने एक अलग अवस्था की खोज की है, जो क्वांटम कंप्यूटरों को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान कर सकती है। इस तकनीक के जरिए बैटरी निर्माण, चिकित्सा अनुसंधान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बड़ी क्रांति आ सकती है।

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क्या माइक्रोसॉफ्ट क्वांटम रेस में आगे निकल रहा है?

Microsoft discovered a new state of matter माइक्रोसॉफ्ट के वैज्ञानिकों ने “टोपोलॉजिकल क्यूबिट” नामक एक विशेष प्रकार के क्यूबिट का निर्माण किया है, जो गणितीय, वैज्ञानिक और तकनीकी चुनौतियों को हल करने की क्षमता रखता है। पारंपरिक क्वांटम क्यूबिट्स की तुलना में यह अधिक स्थिर और कम त्रुटिपूर्ण बताया जा रहा है। इसकी विशेषता यह है कि यह जानकारी को परमाणुओं के बजाय पदार्थ की टोपोलॉजी में एन्कोड करता है। इस तकनीक की नींव “मेजराना कणों” पर आधारित है, जो उप-परमाणु स्तर के कण होते हैं।

गूगल से आगे निकलने की होड़

पिछले साल गूगल ने एक क्वांटम कंप्यूटर पेश किया था, जिसने मात्र पांच मिनट में ऐसी गणना कर ली थी, जिसे पारंपरिक सुपरकंप्यूटर अरबों सालों में भी पूरा नहीं कर सकते। माइक्रोसॉफ्ट का मानना है कि उसकी टोपोलॉजिकल क्यूबिट तकनीक इस क्षेत्र में और आगे निकल सकती है।

माइक्रोसॉफ्ट ने क्वांटम कंप्यूटरों के विकास के लिए एक नवीन प्रकार की कंप्यूटर चिप तैयार की है, जिसमें कई टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स को समाहित किया गया है। इस चिप में पारंपरिक सेमीकंडक्टर तकनीक को सुपरकंडक्टिंग तत्वों के साथ मिलाया गया है, जिससे यह अधिक प्रभावशाली प्रदर्शन कर सकती है। जब इस चिप को अत्यधिक कम तापमान पर रखा जाता है, तो यह बहुत शक्तिशाली तरीके से कार्य करती है और उन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती है, जो आज के पारंपरिक कंप्यूटरों के लिए असंभव मानी जाती हैं।

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क्या यह तकनीक जल्द ही हकीकत बनेगी?

कुछ विशेषज्ञों को संदेह है कि माइक्रोसॉफ्ट ने वास्तव में यह उपलब्धि हासिल कर ली है। उनका मानना है कि पूर्ण विकसित क्वांटम कंप्यूटर बनने में अभी भी दशकों का समय लग सकता है। हालांकि, माइक्रोसॉफ्ट के वैज्ञानिकों का दावा है कि वे इस लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुके हैं। हाल ही में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में इस तकनीक के विस्तृत विवरण दिए गए हैं।

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

क्वांटम कंप्यूटिंग एक उन्नत तकनीक है, जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है। यह कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में कई गुना तेज होते हैं और जटिल गणनाओं को कम समय में हल कर सकते हैं।

मुख्य तत्व:

  • क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स): पारंपरिक बिट्स केवल 0 या 1 हो सकते हैं, लेकिन क्यूबिट्स एक ही समय में दोनों स्थितियों में रह सकते हैं, जिसे सुपरपोजिशन कहा जाता है।
  • क्वांटम एंटैंगलमेंट: दो या अधिक क्यूबिट्स इस तरह जुड़ सकते हैं कि वे कितनी भी दूरी पर हों, एक का प्रभाव दूसरे पर पड़ता है।
  • क्वांटम एल्गोरिदम: विशेष क्वांटम एल्गोरिदम पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में कहीं अधिक तेज गति से गणनाएँ कर सकते हैं।

कौन से देश क्वांटम अनुसंधान में आगे हैं?

कई देश और तकनीकी कंपनियां इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

  • अमेरिका: गूगल, आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां अग्रणी हैं। अमेरिकी सरकार ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है।
  • यूरोप: यूरोपीय संघ ने ‘क्वांटम टेक्नोलॉजी फ्लैगशिप प्रोग्राम’ शुरू किया है, और जर्मनी, फ्रांस तथा यूके इस अनुसंधान में अग्रसर हैं।
  • चीन: चीन क्वांटम संचार और क्वांटम कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कर चुका है।
  • भारत: भारत सरकार ने इस क्षेत्र में 8,000 करोड़ रुपये निवेश किए हैं और क्वांटम सिम्युलेटर ‘क्यूसिम’ लॉन्च किया है।

क्वांटम कंप्यूटिंग के संभावित उपयोग

  • चिकित्सा अनुसंधान: नई दवाओं और उपचारों की खोज में मदद करेगा।
  • भौतिकी और सामग्री विज्ञान: नए प्रकार के पदार्थ विकसित किए जा सकेंगे।
  • वित्तीय गणना: जोखिमों का आकलन और निवेश रणनीतियों का अनुकूलन किया जा सकेगा।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: मशीन लर्निंग को और अधिक उन्नत बनाया जा सकेगा।
  • साइबर सुरक्षा: अभेद्य एन्क्रिप्शन तकनीकों का निर्माण किया जा सकेगा।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com