Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत कल, जानें महत्व, पूजा विधि और पारण का समय
Shani Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत कल, जानें महत्व, पूजा विधि और पारण का समय। Shani Pradosh Vrat Muhurt, Puja Vidhi, Parana time
Shani Pradosh Vrat 2025/Image Credit: IBC24 File
- 24 मई को मई महीने का आखिरी प्रदोष व्रत
- शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है
- इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं
Shani Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में वैसे तो हर दिन, तिथि, तीज-त्योहार का खास महत्व होता है, लेकिन प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यह पूजा शाम के समय में प्रदोष मुहूर्त में की जाती है। बता दें कि, हर माह में दो बार प्रदोष व्रत भी पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई, दिन शनिवार को पड़ रहा है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसे में अगर आप व्रत रखने जा रहे हैं या फिर पूजा करना चाहतें हैं तो शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जरूर जान लें..
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शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2025 Muhurt)
त्रयोदशी तिथि 24 मई 2025 को शाम 07:20 बजे शुरू होकर 25 मई 2025 को दोपहर 03:51 तक रहेगा। वहीं, प्रदोष काल – शाम 07:10 बजे 09:13 बजे तक रहेगा। शनि प्रदोष का पारण समय 25 मई को सुबह 5:26 मिनट पर है।
शनि प्रदोष व्रत महत्व (Shani Pradosh Vrat 2025 Mahatv)
शनिवार के दिन पड़ने के कारण आप इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या फिर शनि दोष है तो फिर इस दिन शनि मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)
शनि प्रदोष व्रत पर शिव और शनि देव, दोनों की पूजा का महत्व है। इस व्रत को सुबह और शाम, दोनों समय विधि-विधान से किया जाता है। ऐसा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति और शिव जी का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि के बारे में..
- सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और फिर घर के मंदिर की सफाई करें।
- शिव परिवार की मूर्ति स्थापित कर जल, फूल, धूप-दीप अर्पित करें।
- शिव चालीसा का पाठ करें और व्रत का संकल्प लें।
- शाम को फिर स्नान करके शिवालय जाएं।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, आक, धतूरा चढ़ाएं।
- पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनि मंदिर में भी जाकर शनि देव की पूजा करें।

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