Bilaspur News: पति शराब पीकर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने की करता था कोशिश, कोर्ट ने खारिज की तलाक की याचिका
divorce petition rejected: बार-बार ‘गरीब’ कहकर अपमानित किया गया और मारपीट की गई। पत्नी ने बताया कि पति शराब पीकर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने की कोशिश करता था, जिसके कारण पहले बच्चे की मौत हो गई।
divorce petition rejected, image source: ibc24
- सिर्फ आरोप के आधार पर तलाक नहीं
- कोर्ट ने पत्नी पर लगाए गए मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आरोपों को खारिज किया
- पत्नी ने जवाब में पति पर गंभीर आरोप लगाए
बिलासपुर: divorce petition rejected, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ आरोप के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने पत्नी पर लगाए गए मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आरोपों को खारिज करते हुए पति की तलाक के लिए प्रस्तुत अपील अस्वीकार कर दी है।
राजनांदगांव जिले में तलाक से जुड़े एक मामले में पति ने पत्नी पर मानसिक और शारीरिक क्रूरता के आरोप लगाते हुए अपील प्रस्तुत की थी। कोर्ट ने आरोपों को सही नहीं पाया। इससे पहले फैमिली कोर्ट भी आरोपों को अस्वीकार कर चुकी थी। रेलवे कर्मचारी पति ने कोर्ट में यह दावा किया था कि उसकी पत्नी उसे जबरन घर जमाई बनाकर रखना चाहती थी, जो उसे स्वीकार नहीं था।
शराब पीकर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने की कोशिश
वहीं पत्नी ने जवाब में पति पर गंभीर आरोप लगाए। उसने कहा कि शादी के एक सप्ताह बाद से ही उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। बार-बार ‘गरीब’ कहकर अपमानित किया गया और मारपीट की गई। पत्नी ने बताया कि पति शराब पीकर जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने की कोशिश करता था, जिसके कारण पहले बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद पति ने उसे बच्चा पैदा करने लायक न मानते हुए मायके भेज दिया।
divorce petition rejected, परिवार की पहल पर सामाजिक बैठक में पति ने अपनी गलती मानी और पत्नी को फिर से घर ले आया, लेकिन उसका व्यवहार नहीं बदला। पत्नी ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए बताया कि गर्भावस्था के दौरान भी उस पर अमानवीय अत्याचार हुए, जिससे दूसरा बच्चा भी 10 दिन के भीतर दम तोड़ गया। इसके बाद पति ने उसे घर से निकाल दिया।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पति द्वारा लगाए गए आरोपों के कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसलिए अपील खारिज की जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से तलाक नहीं दिया जा सकता, जब तक कि उनके पीछे मजबूत प्रमाण न हों।

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