Why are terrorist attacks happening again and again in Kashmir?

The Big Picture With RKM: आतंक का ‘दाग’… कश्मीर पर फिर वही राग! आखिर घाटी में बार-बार क्यों हो रहे हमले? जानिए

आतंक का 'दाग'... कश्मीर पर फिर वही राग! Why are terrorist attacks happening again and again in Kashmir? Read

Edited By :   Modified Date:  June 13, 2024 / 12:36 AM IST, Published Date : June 13, 2024/12:35 am IST

रायपुरः Terrorist Attacks in Kashmir जम्मू-कश्मीर में पिछले 60 घंटे में एक के बाद एक लगातार तीन आतंकी घटनाएं हुई हैं। रियासी, कठुआ और डोडा में हुई इस घटना में नौ श्रद्धालुओं की जान चली गई। एक जवान शहीद हुआ और दो आतंकी मारे गए। तीनों घटनाओं में पांच जवानों समेत कुल 48 लोग घायल हुए हैं। आखिर आतंकी कश्मीर में बार-बार हमले क्यों कर रहे हैं? क्या है इसकी असली वजह? समझते हैं:-

Terrorist Attacks in Kashmir पिछले तीन दिनों में जम्मू-कश्मीर में तीन हुए हमले काफी चिंताजनक है। इन हमलों की टाइमिंग को देखें तो पहला जो हमला पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के कुछ समय पहले हुआ। यह हमला वैष्णों देवी जा रहे श्रद्धालुओं पर किया गया। इसे सॉफ्ट टारगेट कहा जाता है। निहत्थे आम नागरिक पर हमले को ही सॉफ्ट टारगेट कहा जाता है। जब आंतकी सुरक्षाबलों पर हमला करते हैं तो उसे हार्ड टारगेट कहा जाता है। श्रद्धालुओं पर हमला करना सॉफ्ट टारगेट था। जम्मू कश्मीर में बहुत समय बाद हुआ है, जब आतंकियों ने निहत्थे लोगों को निशाना बनाया है। हालांकि कश्मीर रिजन में कुछ हिंदूओं की हत्या हुई थी। उसके बाद फिर कठुआ और डोडा में सुरक्षा बलों के साथ आतंकियों की मुठभेड़ हो गई। इन घटनाओं से मुझे लगता है कि यह आतंकियों की बौखलाहट है। दरअसल, धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बंपर वोटिंग हुई है। वहां पिछले 40 साल का मतदान रिकार्ड टूट गया। बारामूला समेत सभी छह संसदीय सीटों पर मतदाताओं ने रिकार्ड मतदान किया है। घाटी में बंपर वोटिंग पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं को रास नहीं आया। आतंकियों को लगने लगा है कि जम्मू-कश्मीर की जनता एक बार फिर लोकतंत्र में विश्वास करके वोट डालने जा रही है। इससे हमें नुकसान होगा। यही वजह है कि आतंकियों ने अपनी एक्टिविटी बढ़ा दी और हिसंक घटनाओं को अंजाम दिया है।

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कश्मीर में बढ़ी टूरिस्ट एक्टिविटी

दूसरी बात यह है कि कई सालों बाद हम देख रहे हैं कि कश्मीर में टूरिस्ट एक्टिविटी बढ़ी है। कहा जा रहा है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार देश-दुनिया की सबसे ज्यादा पर्यटक यहां पहुंचे हैं। कश्मीर में यह शांति और विकास की राह आतंकवादी संगठनों को पसंद नहीं आया और वो इसमें डिस्टरबेंस कर रहे हैं। हाल में हुए आतंकी घटनाओं को देखकर लग रहा है कि यह नापाक चाल सीमा के पार से चली गई है। हमें यह भी ध्यान देना होगा कि मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी पड़ोसी देशों के राष्ट्र अध्यक्षों को बुलाया, लेकिन पाकिस्तान को नहीं बुलाया गया था। एक समय नवाज शरीफ ने एक ट्वीट कर शांति की बात कही तो मोदी ने उसके जवाब में कहा कि भाई हम तो हमेशा ही शांति की बात करते हैं। आपको देखना है कि आप कितनी शांति चाहते हैं? यह भी आतंकियों के कायराना करतूत का कारण हो सकता है। इतना ही पाकिस्तान को 10 सालों में पाकिस्तान को भारत सरकार ने और खासकर मोदी की सरकार ने उनको एकदम अलग-थलक कर दिया है। उनकी जो इकोनॉमी है, वह गर्त में है। उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी साख भी उतनी नहीं बची है। केवल चीन ही कभी-कभी उनका साथ देने के लिए आता है। इसके अलावा धारा 370 हटने के बाद वहां पत्थरबाजी सहित कई बड़ी घटनाओं में कमी आई है। इन सबके के बीच मोदी का फिर से प्रधानमंत्री बन जाना, उनको रास नहीं आया। दरअसल, जून, जुलाई, अगस्त के महीने के दौरान कश्मीर का मौसम अनुकूल होता है। सितंबर, अक्टूबर के बाद बर्फबारी हो जाती है तो आतंकी संगठन आतंकवादी नहीं भेज पाते हैं। कठुआ में ढेर आतंकियों से इस बात की पुष्टि भी होती है।

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खुफिया एजेंसियों को चौंकन्ना रहने की जरूरत

इन सबके बीच हमारे सुरक्षाबलों के जवान हौसलों के साथ लड़ रहे हैं। उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी। लेकिन एक सवाल जरूर होता है कि जो हमारा इंटेलिजेंस है, उसमें कमी तो नहीं रह गई। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमारे खुफिया एजेंसियों को ह्यूमन इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए जानकारी जुटानी चाहिए। आतंकी जब गांवों में घुस आते हैं, बस पर अटैक करते हैं, गांवों में घूम-घूमकर पानी मांगते हैं, तब वे आतंकियों को पकड़ते हैं। तो फिर हमारी इंटेलिजेंस या खुफिया एजेंसियों यह जानकारी पहले से क्यों नहीं लग रही है। मेरा भी यही सवाल है कि हमारी खुफिया एजेंसी पूरी तरह से चौंकन्ना क्यों नहीं है, जबकि उन्हें पता है कि देश में अभी चुनाव खत्म हुए हैं। एक अच्छी शांति कश्मीर में आ रही है। वहां के लोगों ने इतना बढ़ चढ़कर लोकतंत्र के पर्व में हिस्सा लिया है तो इंटेलिजेंस एजेंसियों को भी चौकन्ना रहने की जरूरत है। हाल के आतंकियों घटनाओं से लगता है कि जो बगल वाले निजाम है, उसको देश में देश में तीसरी बार मोदी का प्रधानमंत्री बनना और कश्मीर की शांति पच नहीं रही है।

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आंध्र से एनडीए ने दिया ये बड़ा संदेश

एक बात देश में हो रही राजनीतिक घटना क्रमों की कर लेते हैं। एनडीए की दो और राज्यों यानी आंध्र प्रदेश और उड़ीसा
में सरकार बन गई है। शपथ ग्रहण भी हुआ। इसमें पीएम मोदी सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय नेता यहां पर पहुंचे। दरअसल, पहले आंध्रा और फिर उड़ीसा में आज शपथ ग्रहण समारोह हुआ। जो तस्वीरें इस इवेंट की सामने आई, वह बहुत खूबसूरत थी। एक बार फिर से गठबंधन सरकार का दौर नेशनल लेवल पर लौटा है तो पहले हमने आंध्र प्रदेश में देखा कि पीएम मोदी और वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पहले आपस में गले मिले। उसके बाद उपमुख्यमंत्रियों से मिले। वहां पर मौजूद अन्य लोगों से भी पीएम मोदी मिले। इस दौरान वहां पर एनडीए के घटक दलों से सभी नेता मौजूद थे। यहां तक की एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल भी वहां था, जिन्होंने राज्य मंत्री का पद लेने से इनकार कर दिया था। कुलमिलाकर कहे तो वहां पर एकता देखने को मिली। इस इवेंट से एनडीए ने एक ये संदेश देने की कोशिश की गई कि एनडीए की सरकार बहुत अच्छे से चलेगी। इसमें बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। उड़ीसा में भी जो तस्वीरें आई, वह भी खूबसूरत थी। 24 साल बाद नवीन पटनायक वहां से हारे हैं, लेकिन आज सबने देखा कि मंच पर किस तरीके से वे बीजेपी के नेताओं के सामने बीच में बैठे हुए थे। सबसे मिलकर बात कर रहे थे। मुस्कुरा रहे थे। यही तो लोकतंत्र की खूबसूरती है। अगर आपका विरोधी भी अगर आ जाए तो भी आप उसके साथ बैठते हैं। क्योंकि लोकतंत्र में जनता के हाथ में सत्ता होती है। उड़ीसा में बीजेपी ने अपना वही तीन लोगों का फार्मूला जारी रखा। एक मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री वहां बनाए है। हाल ही में हुए कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में हमने देखा था कि सभी राज्यों में बीजेपी ने इसी तरीके का फॉर्मूला अपनाया। बीजेपी ने यहां पर हर वर्ग को सत्ता में प्रतिनिधित्व दिया है। कुल मिलाकर यह कहे कि दोनों राज्यों से आई तस्वीरें बहुत खूबसूरत थी और इससे लगता है कि देश में लोकतंत्र मजबूत ही हुआ है।

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