Balaghat ka Shravan Kumar: कलयुग का श्रवण कुमार बना बालाघाट का युवक.. माता-पिता की याद में किया ऐसा काम, अब हर जगह हो रही चर्चा |

Balaghat ka Shravan Kumar: कलयुग का श्रवण कुमार बना बालाघाट का युवक.. माता-पिता की याद में किया ऐसा काम, अब हर जगह हो रही चर्चा

Balaghat ka Shravan Kumar: कलयुग का श्रवण कुमार बना बालाघाट का युवक.. माता-पिता की याद में किया ऐसा काम, अब हर जगह हो रही चर्चा

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Reported By: Hiten Chauhan

Modified Date: April 7, 2025 / 05:15 PM IST
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Published Date: April 7, 2025 5:14 pm IST

Balaghat ka Shravan Kumar: बालाघाट। मध्यप्रदेश के बालाघाट के किरनापुर से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां रहने वाला युवक एक मिसाल बन गया। युवक का नाम मंगलप्रसाद रैकवार है जिसने अपने माता-पिता और बड़ी मां की याद में एक मंदिर बनवाया है। इतना ही नहीं मंदिर में इनकी प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं, जो आज लोगों के लिए आस्था और भावनात्मक जुड़ाव का केंद्र बन चुका है। इस वजह से अब उन्हें सब श्रवण कुमार के नाम से पुकारने लगें हैं।

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किरनापुर के रहने वाले मंगलप्रसाद रैकवार ने अपने माता-पिता और बड़ी मां के प्रति अपनी अनोखी श्रद्धा दिखाते हुए गांव में एक भव्य मंदिर बनवाया है। इस मंदिर की खास बात ये है कि इसमें देवी-देवता नहीं बल्कि मंगलप्रसाद ने अपने माता-पिता और बड़ी मां की भी प्रतिमाएं स्थापित की हैं। उनका मानना है कि जीवन में जो कुछ भी उन्होंने पाया, वो अपने माता-पिता और परिवार के संस्कारों की वजह से ही है। मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल बन गया है, बल्कि अब यह लोगों को अपने बुज़ुर्गों के प्रति कृतज्ञता जताने की प्रेरणा भी दे रहा है। मंगलप्रसाद रैकवार का यह कदम समाज में एक नई सोच की शुरुआत कर रहा है।

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मंगल प्रसाद ने बताया, जब मकान बन रहा था, तो मां पार्वती पास बैठकर काम देखती थीं। सोचा था कि घर का उद्घाटन मां के हाथों होगा, पर हृदयघात से निधन हो गया। उनकी नकी समाधि घर के पीछे खुले आसमान के नीचे बनाई गई, पर यह देखकर मन में अपूर्णता का अहसास हुआ। उसी क्षण माता-पिता का मंदिर बनाने का संकल्प लिया। खुशी है कि सपना पूरा हो गया। मंदिर में पिता रामरतन रैकवार, बड़ी मां शुभन्ति और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित की हैं।

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आज के आपाधापी वाले जीवन में लोगों के पास ना अपने माता पिता के लिए समय है ना बच्चों के लिए। कई लोग तो अपने माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। किंतु बालाघाट जिले के किरनापुर में रहने वाले एक पुत्र ने अपने माता पिता के संघर्षमय जीवन एवं त्याग को यादगार बनाने उनके सम्मान में मंदिर ही बनवा दिया…वाकई, जब ईश्वर के बाद माता-पिता को पूजने की बात होती है, तो मंगलप्रसाद रैकवार का यह प्रयास एक प्रेरणादायक उदाहरण बन जाता है। उनके इस प्रयास की वहज से उन्हें सब श्रवण कुमार के नाम से जानने लगे हैं।