Reported By: NAND KISHOR PAWAR
,Betul News/Image Source: IBC24
बैतूल: Betul News: देश में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार तो पहले से ही चिंता का विषय है लेकिन अब कहानी और भी चौंकाने वाली है। क्योंकि यहां इलाज का धंधा किसी डॉक्टर ने नहीं बल्कि एक सरकारी शिक्षक ने शुरू किया है। जी हां बैतूल ज़िले में एक ऐसा शिक्षक मिला है जो सरकार से वेतन तो शिक्षा देने का लेता है लेकिन असल में स्कूल की जगह क्लिनिक चलाता है, जहां वह रोज़ाना ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ कर रहा था। मामला है घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के चिखलपाटी गांव का। यहां रघुनाथ फौजदार जो कुंडीखेड़ा गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं उन्होंने अपने घर पर अवैध क्लिनिक खोल रखा था।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब स्कूल समय में उनके घर पर छापा मारा तो रघुनाथ एक मरीज़ का इलाज करते हुए रंगे हाथों पकड़े गए। जांच में टीम को भारी मात्रा में दवाइयां, इंजेक्शन, ड्रिप सेट और बायो-वेस्ट मिला। पूछताछ में रघुनाथ फौजदार ने खुद स्वीकार किया कि वह पिछले आठ सालों से इलाज कर रहे हैं, हालांकि उनके पास न कोई मेडिकल डिग्री है न पंजीकरण। ग्रामीणों का कहना है कि वे हर बीमारी का इलाज इन्हीं से करवाते हैं, क्योंकि गांव में कोई डॉक्टर नहीं है और रघुनाथ खुद को डॉक्टर बताकर दवा देते हैं। एक सरकारी शिक्षक जो बच्चों को पढ़ाना छोड़ इलाज का धंधा कर रहा है अगर उसके झोलाछाप इलाज से किसी की जान चली जाए तो ज़िम्मेदारी कौन लेगा? सरकार? शिक्षा विभाग? या फिर वह सिस्टम जो ऐसे मामलों पर आंख मूंद लेता है?
Betul News: स्वास्थ्य विभाग ने क्लिनिक से बरामद दवाइयों और उपकरणों की रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेज दी है। मामला जांच के अधीन है, लेकिन अब तक निलंबन या गिरफ्तारी की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। याद कीजिए हाल ही में परासिया में डॉक्टर सोनी और ज्योति सोनी के कफ सिरप से 26 मासूम बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। अब बैतूल का यह मामला एक बार फिर प्रदेश के स्वास्थ्य और शिक्षा तंत्र की लापरवाही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। एक तरफ़ सरकार साक्षर भारत और स्वस्थ भारत के नारे देती है और दूसरी तरफ़ वही सिस्टम ऐसे झोलाछाप शिक्षक-डॉक्टरों को पनपने देता है। प्रश्न यह नहीं कि कार्रवाई कब होगी प्रश्न यह है कि कितनी और ज़िंदगियाँ इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज की भेंट चढ़ेंगी।