भोपाल: Chambal zone scindia दोनों दलों की मिशन 2023 की तैयारी जमीनी स्तर पर दिखने लगी हैं। सत्तापक्ष विकास की सौगातों के जरिए तो कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के जरिए सरकार को घेरकर अपनी जमीनी पकड़ मजूबत कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने तरफ से मोर्चा संभाला हुआ है खुद पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जो कि विंध्य के बाद अब चंबल-अंचल पर फोकस कर रहे हैं। ग्वालियर-चंबल इसीलिए भी खास है क्योंकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ के तौर पर पहचाना जाने वाला ये इलाका दोनों दलों के लिए चुनौतियों से भरा है। मंगलवार को शिवराज सरकार ने केंद्रीय उडड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में इलाके पर सौगातों की झड़ी लगा दी तो बुधवार को कमलनाथ भिंड में जन आक्रोश रैली कर चुनावी माहौल गर्माने की तैयारी में हैं सवाल ये अंचल किसके साथ है?
Chambal zone with whom? कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ने अभी से अपने-अपने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने विंध्य के बाद अब उस ग्वालियर चंबल अंचल पर फोकस किया है जहां से उनकी सरकार को सबसे बड़ा झटका लगा था। वैसे ग्वालियर चंबल की अहमियत आप यहां के चुनावी गणित को देखकर ही समझ सकते हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में कुल 8 जिले हैं, जिनमें विधानसभा की 34 सीटें आती हैं- 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा ने 34 में से 20 सीटें जीती थीं जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने यहां भाजपा को जमकर पछाड़ते हुए 34 में से 26 सीटों पर जीत हासिल की। यानि भाजपा को 2013 के मुकाबले 2018 में 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था और वो महज 7 सीटों पर सिमट गई थी।
अंचल के इसी चुनावी गणित और उलटफेर को देखते हुए कांग्रेस ओर बीजेपी दोनों ग्वालियर-चंबल अंचल में अभी से अपनी पकड़ बनाने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पूरी तरह से चुनावी मोड में हैं। हर एक बूथ पर कमेटियां बनाकर चुनावी तैयारियों को धार देने की कोशिश कर रहे। इसी क्रम में बुधवार को कमलनाथ भिंड और आसपास के जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे साथ-साथ ही मंडल, सेक्टर के पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे साथ ही जनआक्रोश सभा को संबोधित करेगें।
ग्वालियर-चंबल अंचल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबदबे वाला इलाका माना जाता है। साल 2020 में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की थीं। उपचुनाव में भाजपा की जीत ने सिंधिया और भाजपा दोनों को बड़ी राहत दी थी। अब अंचल में कमलनाथ के दौरे पर बीजेपी के नेता तंज कस रहे हैं तो वहीं सिंधिया ने कहा चंबल में कमलनाथ का स्वागत है।
वैसे दोनों दल जानते हैं कि 2023 चुनौतियां दोनों दलों के लिए कम नहीं हैं। 2018 में भाजपा को इस इलाके से बड़ा धक्का लगा था, तो सिंधिया खेमे के पार्टी से टूटने के बाद कांग्रेस को अंचल में नए सिरे से सियासी जमावट करनी है। इलाके के विकास के लिए शिवराज सरकार इलाके को लगातार विकास कार्यों से सौगातें दे रही है तो कांग्रेस भी स्थानीय मुद्दों को धार देकर अपने लिए जनाधार बनाने की जद्दोजहद में जुट गई है।
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