Dhan Kharidi Cancelled: अब भाजपा सरकार नहीं खरीदेगी किसानों से धान-गेहूं? सीएम ने मोदी सरकार को लिखा पत्र, कहा- कर्ज से दबा हुआ है राज्य, भुगतान में हो रही समस्या, पीसीसी चीफ ने शेयर किया लेटर

Dhan Kharidi Cancelled: अब भाजपा सरकार नहीं खरीदेगी किसानों से धान-गेहूं? सीएम ने मोदी सरकार को लिखा पत्र, कहा- कर्ज से दबा हुआ है राज्य, भुगतान में हो रही समस्या, पीसीसी चीफ ने शेयर किया लेटर

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  • Publish Date - November 3, 2025 / 12:47 PM IST,
    Updated On - November 3, 2025 / 02:29 PM IST

Dhan Kharidi Cancelled: अब भाजपा सरकार नहीं खरीदेगी किसानों से धान-गेहूं? सीएम ने मोदी सरकार को लिखा पत्र / Image: CG DPR

HIGHLIGHTS
  • धान-गेहूं की खरीदी विकेंद्रीकृत से केंद्रीकृत करने का अनुरोध
  • राज्य सरकार पर बैंकों से ली गई उधार राशि ₹72,177 करोड़ रुपए है
  • FCI की जटिल प्रक्रिया से किसानों को भारी नुकसान होगा

भोपाल: Dhan Kharidi Cancelled छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सहित देश के कई राज्यों में आगामी दिनों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू होने वाली है। सहकारी संस्थाएं किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी करती है और केंद्र सरकार की ओर से तय किए गए MSP का भुगतान करती है। हालांकि छत्तीसगढ़ में किसानों को प्रदेश सरकार की ओर से अलग से बोनस के तौर पर समर्थन मूल्य के अतिरिक्त ​कृषक उन्नति योजना के तहत एक नि​श्चित राशि का भुगतान किया जाता है। लेकिन इस बीच छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर धान और गेंहू खरीद बंद करने का प्रस्ताव दिया है। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने 72 हजार करोड़ रुपए कर्ज का हवाला दिया है।

Madhya Pradesh Dhan Kharidi Cancelled सीएम मोहन यादव की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि ”मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को एक पत्र लिखकर कहा है कि गेहूं और धान की खरीदी की व्यवस्था केंद्रीकृत तरीके से की जाए। पत्र में लिखा है कि प्रदेश में उपार्जन पिछले सालों में बढ़कर गेहूं में 77.74 लाख मीट्रिक टन एवं धान में 43.49 लाख मीट्रिक टन हो गया है।”

”उन्होंने आगे लिखा कि स्टॉक के निराकरण में बहुत ज्यादा समय लग रहा है, साथ ही राज्य सरकार की जो लागत आती है उसका समय पर भुगतान न होने से राज्य सरकार को विकेंद्रीकृत उपार्जन योजना संचालन में काफी वित्तीय हानियां हो रही हैं। यह उल्लेखनीय है कि उक्त उपार्जन योजना में बैंकों से ली गई उधार राशि ₹72,177 करोड़ है। इसके पुनर्भुगतान में काफी समस्या हो रही है। अतः अनुरोध है कि प्रदेश को समर्थन मूल्य विकेंद्रीकृत उपार्जन योजना के स्थान पर केंद्रीकृत उपार्जन योजना संचालन की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें।”

वहीं, सीएम मोहन यादव का पत्र सामने आने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रमुख जीतू पटवारी ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लेटर को शेयर करते हुए लिखा है कि ”मप्र के किसान भाइयों…मप्र की भाजपा सरकार ने गेहूं/धान की सरकारी खरीदी करने से हाथ खड़े कर दिए हैं! मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र भी लिख दिया है!”

”सरकार का कुतर्क है अब FCI खरीदी करेगा! मैं प्रामाणिक तौर पर कह रहा हूं इससे किसानों को सिर्फ नुकसान ही होगा! गुणवत्ता मानक के नाम पर फिर लाखों क्विंटल गेहूं रिजेक्ट होगा! फिर से किसान को अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई औने-पौने दामों पर बाजार की शर्तों और निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा! फिर से किसानों को घाटा होगा!” ”उन्होंने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार के इस निर्णय का विरोध करता हूं! भाजपा सरकार को कहना चाहता हूं, किसानों के आर्थिक शोषण की इस नीति को तत्काल वापस ले!”

 

इसके अलावा पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी एक्स पर लिखा है कि ”प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रदेश के करोड़ों किसानों को गंभीर संकट में धकेलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिस भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के किसानों से गेहूं और धान का बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का चुनावी वादा किया था, अब वही भाजपा सरकार MSP पर गेहूं और धान की ख़रीदी करने की प्रक्रिया से हाथ पीछे खींच रही है।

”सच्चाई यह है कि मप्र सरकार ने गेहूं और धान की सरकारी खरीदी करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर चढ़े 77,000 करोड़ रुपए के भारी-भरकम कर्ज का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से FCI के माध्यम से सीधे धान और गेहूं खरीदने का अनुरोध किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखा है। FCI की ख़रीद प्रक्रिया के अत्यंत जटिल होने के कारण बड़ी संख्या में किसानों की उपज रिजेक्ट हो सकती है और उन्हें अपनी मेहनत की कमाई औने-पौने दामों पर निजी व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।”

”सीधी बात यह है कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार एक-एक कर किसानों के ख़िलाफ़ क़दम उठाती जा रही है। ध्यान से देखें तो खाद और बीज के लिए किसानों का बराबर परेशान होते रहना प्रदेश की स्थायी तस्वीर बन गई है। इसी तरह मूंग की ख़रीद के समय सरकार ने जानबूझकर प्रदेश के मूंग को ज़हरीला साबित करने का षड्यंत्र रचा और लंबे समय तक केंद्र सरकार को ख़रीदी को लेकर कोई लक्ष्य नहीं भेजा। सभी को अच्छी तरह याद होगा मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्ज़ माफ़ कर दिया था लेकिन भाजपा सरकार बनते ही कर्ज़ माफ़ी की प्रक्रिया बंद कर दी गई।”

”इस तरह अब स्पष्ट होता जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि प्रदेश का किसान पूरी तरह बदहाल हो जाए और खेती से पीछे हट जाए। ऐसे में भाजपा उसकी ज़मीन हड़प ले और उसका मनचाहा उपयोग करे। भाजपा की मानसिकता अंग्रेज़ी राज की मानसिकता से भी ज़्यादा ख़तरनाक और किसान विरोधी है। मैं सरकार से माँग करता हूँ कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीद की प्रक्रिया में कोई बदलाव न किया जाए, इससे प्रदेश के करोड़ों किसान संकट में पड़ जाएंगे।”

 

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मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र से किसानों से धान और गेहूं की खरीद बंद करने का प्रस्ताव क्यों दिया है?

मध्य प्रदेश सरकार ने ₹72,177 करोड़ के भारी कर्ज और विकेंद्रीकृत उपार्जन योजना में होने वाली वित्तीय हानियों का हवाला देते हुए यह प्रस्ताव दिया है।

CM मोहन यादव ने किसानों से खरीद की कौन सी नई व्यवस्था लागू करने का अनुरोध किया है?

CM मोहन यादव ने विकेंद्रीकृत के स्थान पर केंद्रीकृत उपार्जन योजना लागू करने का अनुरोध किया है, जिसमें FCI सीधे खरीद करेगा।

कांग्रेस ने सरकारी खरीद बंद होने पर किसानों को क्या नुकसान होने की आशंका जताई है?

कांग्रेस ने आशंका जताई है कि FCI की जटिल प्रक्रिया और गुणवत्ता मानकों के कारण बड़ी मात्रा में उपज रिजेक्ट होगी, जिससे किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ेगी।

नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) पर कितना कर्ज चढ़ने का उल्लेख किया गया है?

पूर्व सीएम कमलनाथ ने उल्लेख किया है कि नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) पर लगभग ₹77,000 करोड़ रुपए का भारी-भरकम कर्ज चढ़ गया है।

छत्तीसगढ़ में किसानों को धान खरीदी पर समर्थन मूल्य के अतिरिक्त क्या मिलता है?

छत्तीसगढ़ में किसानों को समर्थन मूल्य के अतिरिक्त प्रदेश सरकार की ओर से 'कृषक उन्नति योजना' के तहत एक निश्चित बोनस राशि का भुगतान किया जाता है।