धार के चुनावी समर में भोजशाला मुद्दे की कितनी ‘‘धार’’ : मतदाताओं की राय बंटी

धार के चुनावी समर में भोजशाला मुद्दे की कितनी ‘‘धार’’ : मतदाताओं की राय बंटी

धार के चुनावी समर में भोजशाला मुद्दे की कितनी ‘‘धार’’ : मतदाताओं की राय बंटी
Modified Date: April 27, 2024 / 12:21 pm IST
Published Date: April 27, 2024 12:21 pm IST

धार (मप्र), 27 अप्रैल (भाषा) धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की वैज्ञानिक छानबीन शुरू होते ही मध्ययुग के इस स्मारक का पुराना विवाद सुर्खियों में लौट आया है। हिंदुओं के एक संगठन की गुहार पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश से शुरू हुआ एएसआई का यह सर्वेक्षण महीने भर से ज्यादा वक्त से जारी है।

हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर एएसआई द्वारा संरक्षित है।

धार लोकसभा सीट पर 13 मई को होने वाले मतदान से पहले भोजशाला विवाद को लेकर सियासी बयानबाजी भी जारी है। हालांकि, भोजशाला का मुद्दा चुनावी समीकरणों पर कितना असर डालेगा, इस सवाल पर धार शहर के मतदाताओं की अलग-अलग राय है।

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स्थानीय निवासी अंजू मित्तल ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमारे लिए भोजशाला का मामला कोई चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विषय है। हम अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की तरह भोजशाला विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, भले ही यह समाधान किसी भी पक्ष के हक में हो।’’

धार के एक अन्य निवासी अजहर खान ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भोजशाला का मुद्दा लोकसभा चुनावों का परिणाम तय करने में निर्णायक साबित होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम धार का केवल विकास चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे शहर में आपसी भाईचारा बना रहे।’’

बहरहाल, खान की राय से स्थानीय दुकानदार नुरू कुरैशी इत्तेफाक नहीं रखते। कुरैशी भोजशाला विवाद को चुनावी मुद्दा मानते हैं और उनका दावा है कि इससे एक पक्ष को चुनावी फायदा मिलेगा।

‘मास्टर ऑफ सोशल वर्क’ की उपाधि हासिल कर चुके दुकानदार ने कहा, ‘‘धार के कई पढ़े-लिखे युवाओं के पास रोजगार नहीं है। धार के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के कारखानों के कर्मचारियों में उत्तरप्रदेश, बिहार और अन्य सूबों के लोगों की तादाद ज्यादा है, जबकि स्थानीय युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।’’

गृहस्थी संभालने के साथ ही परिवार के कारोबार में मदद करने वाली अर्चना बंसल ने कहा कि उनकी नजर में धार में प्रस्तावित रेल परियोजनाएं सबसे महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा हैं क्योंकि इनसे क्षेत्र का विकास होगा।

उन्होंने साथ ही कहा, ‘‘भोजशाला का मामला भी अहम चुनावी मुद्दा है और इससे चुनावी समीकरण प्रभावित होंगे।’’

धार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपना 10 साल पुराना कब्जा बरकरार रखने के लिए जोर लगा रही है, तो कांग्रेस के सामने भाजपा से यह सीट छीनने की चुनौती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है।

भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार, पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।

‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नाम के संगठन ने इस व्यवस्था को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में चुनौती दी है। संगठन की अर्जी पर उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो लगातार जारी है।

एएसआई ने सर्वेक्षण पूरा करने के लिए आठ हफ्तों की मोहलत मांगते हुए उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की है। इस अर्जी पर 29 अप्रैल को सुनवाई होने की संभावना है।

भाषा हर्ष शोभना सिम्मी

सिम्मी


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