भोपालः बिशप पीसी सिंह के काले कारनामों के साथी या तो जेल में या भागे हैं, लेकिन बिशप को किसका संरक्षण था। जनता के सामने उसका चेहरा लाना भी ज़रुरी है। ज़रा सोचिए जिस प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर देश में सबसे कठोर कानून हो। उसी प्रदेश में पीसी सिंह के लिए धर्म परिवर्तन कराना एक उपलब्धि थी। इस मामले पर आज सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों आमने सामने है। सत्ता पक्ष का मानना है कि बिशप काग्रेस के शासन काल में फलाफूला तो वहीं कांग्रेस का ये कहना है कि 18 साल से बीजेपी क्या कर रही थी। यानी इनके बयानों को आधार मान ले तो पीसी सिंह को राजनीतिक संरक्षण तो मिला हुआ था।
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चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया की जबलपुर डायोसिस के बिशप पीसी सिंह का घर जब ईओडब्लू की छापेमार कार्रवाई में अकूत दौलत उगल रहा था। तब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस ब्लैक मनी का इस्तेमाल धर्मांतरण में होने की आशंका जताई थी। सीएम के निर्देश पर ईओडब्लू की इंटेलीजेंस विंग बिशप के मिशन धर्मांतरण की जांच कर रही है। जिसमें जो बातें निकलकर सामने आ रही हैं उसने सबको चौंका दिया है। पता चला कि बिशप पीसी सिंह की सरपरस्ती में जबलपुर डायोसिस धर्मांतरण करवा रही थी। सीएनआई जबलपुर डायोसिस की वेबसाईट में धर्मांतरण को उपलब्धि बताकर जो जानकारी दर्ज है, उसे देखकर समझ आता है कि प्रदेश के महाकौशल और विंध्य अंचल के आदिवासी बहुल इलाके बिशप के निशाने पर थे। जबलपुर डायोसिस के बिशप पीसी सिंह की सरपरस्ती में हुए धर्मांतरण के खेल पर सियासत भी गर्मा गई है..बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी ने दावा किया है कि बिशप कांग्रेस की पिछली सरकारों में फला फूला था। इधर जबलपुर से ही कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने पलटवार किया कि बिशप पीसी सिंह इतने काले कारनामों में शामिल था तो आखिर सरकार बीते 18 साल से कर क्या रही थी।
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बिशप के मिशन धर्मांतरण की जांच कर रही ईओडब्लू की इंटैलीजेंस विंग धर्मांतरित हुए दलितों और आदिवासियों से भी संपर्क साध कर उनके बयान दर्ज कर रही है। हांलांकि इस बेहद संवेदनशील मामले पर अधिकारी फिलहाल कुछ बोलने से बच रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि सीएम के सख्त तेवरों के बाद धर्मांतरण की फैक्ट्री चला रहे बिशप पीसी सिंह पर और कड़ी कार्रवाई हो सकती है। सवाल ये भी है कि आखिर इतने लंबे समय से बिशप पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई और आज इस मुकाम तक उसके पहुंच जाने में और कौन-कौन उसके हिस्सेदार हैं।