भोपालः मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड को आमतौर पर एक पिछड़ा इलाका माना जाता है, जो लंबे समय से सूखे की मार झेल रहा है। यहां की 4 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का वर्चस्व है। सागर, दमोह, टीकमगढ़ और खजुराहों से बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित कर अपने पत्ते खोल दिए हैं। वहीं कांग्रेस अभी तक अपने प्रत्याशी ही तय नहीं कर पाई है। अभी तक केवल टीकमगढ़ सीट पर ही अपना उम्मीदवार घोषित कर पाई है। चलिए बुंदेलखंड की चार सीटों और उनके सियासी समीकरणों को जानते हैं।
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सबसे पहले बात सागर लोकसभा की। ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बीजेपी ने महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष लता वानखेडे को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा होना बाकी है। इसी तरह दमोह लोकसभा सीट में बीजेपी ने पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे राहुल लोधी को प्रत्याशी बनाया है। यहां भी कांग्रेस उम्मीदवार पर मंथन कर रही है। वहीं टीकमगढ़ लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सीट पर बीजेपी के वीरेंद्र खटीक चौथी बार प्रत्याशी हैं। कांग्रेस ने यहां पिछली बार उम्मीदवार रहे पंकज अहिरवार पर भरोसा जताया है। बुंदेलखंड की एक और अहम खजुराहो लोकसभा सीट से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा दूसरी बार प्रत्याशी हैं। पिछली बार महज 18 दिन के प्रचार से रिकॉर्ड बहुमत से जीते थे। कांग्रेस ने यहां समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी है सीट, हालांकि सपा अभी तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है।
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बीजेपी ने बुंदेलखंड की चारों सीटों पर युवा और अनुभवी चेहरों के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। वहीं कांग्रेस भले ही उम्मीदवार के ऐलान में देरी कर रही हो, लेकिन विपक्ष ने बुंदेलखंड के चुनावी मुद्दे तय कर अभी से बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है। बुंदेलखंड की इन चारों सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार पिछले 25-30 सालों से जीतते आ रहे हैं। बीजेपी यहां जीत को लेकर आश्वस्त है। उसका आत्मविश्वास उसके नेताओं के बयानों में नजर भी आ रहा है।
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बुंदेलखंड वीर बुंदेलों और पराक्रमी चंदेलों की भूमि है। आजादी के बाद से अब तक हुए चुनावों में यहां सियासत खूब परवान चढ़ी, लेकिन सरकारों की विकास की रेल दिल्ली से बुंदेलखंड नहीं पहुंच सकी। बुंदेलखंड में एक बार फिर लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के इस मजबूत दुर्ग को कांग्रेस ध्वस्त कर अपना खाता खोल पाएगी या बीजेपी का वर्चस्व कायम रहता है।