Chunavi Chaupal in Barwara : विधायक तो अच्छे मिले.. लेकिन जनता को रह गई इस बात की कसक, बोले- उन्हें ही दोगुने मतों से जिताएंगे
विधायक तो अच्छे मिले.. लेकिन जनता को रह गई इस बात की कसक : Chunavi Chaupal in Barwara : Voters Opinion for 2023 Assembly election
बड़वाराः Chunavi Chaupal in Barwara छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के साल 2023 बेहद खास रहने वाला है। दोनों राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। लिहाजा अब दोनों ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मिया बढ़ रही है। विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है तो वहीं सरकार भी पुराने कार्यकाल में हुए कार्यों का हवाला देते हुए निशाना साध रही है।
Chunavi Chaupal in Barwara इस चुनावी साल में एक बार फिर हम आपके पास आ रहे है। चुनावी चौपाल के जरिए हम आपसे संवाद कर आपके मुद्दों को जानेंगे और सरकार की योजनाओं सहित विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन पर फीडबैक लेंगे। इसी कड़ी में आज हम पहुंचे है मध्यप्रदेश के बड़वारा विधानसभा सीट पर…
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मध्यप्रदेश के कटनी जिले में चार विधानसभा सीटें आती हैं जिनमें बड़वारा विधानसभा सीट एक है। बड़वारा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है जो शहडोल संसदीय क्षेत्र के अंर्तगत आती है। इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का जीत का सिलसिला टूटा और कमल खिला। 2018 में बड़वारा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मोती कश्यप और कांग्रेस के विजय राघवेंद्र सिंह के बीच मुकाबला है। इसमें कांग्रेस प्रत्याशी को 21360 वोटों से जीत मिली।
2013 में ऐसा था परिणाम
2013 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी। बीजेपी और कांग्रेस के हुए कड़े मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी मोती कश्यप ने कांग्रेस के राघवेंद्र सिंह को करीब 3 हजार वोटों के अंतर से हराया था। 2013 में भाजपा के मोती कश्यप को कुल 62292 मत मिले। कांग्रेस के विजय राघवेन्द्र सिंह को 59005 मत मिले। वहीं बसपा के झगड़ू लाल कोल को 9034 मत मिले।
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इस बार क्या कहती है जनता
आदिवासी इलाका होने के कारण बड़वारा विधानसभा सीट पर आदिवासियों के मुद्दे हमेशा से हावी रहे हैं। यहां की सियासत की इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। जनप्रतिनिधि भी यहां आदिवासियों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ती है। विकास के सवाल पर यहां के स्थानीय नागरिक सत्येंद्र सिंह बघेल ने कहा कि जिस समय कांग्रेस की 15 महीने की सरकार थी, उस समय विकास की लहर दौड़ी थी। कई सड़कों का सेंक्शन भी हुआ था, लेकिन सरकार बदलते ही इसे रोक दिया गया।
शिक्षा को लेकर एक मतदाता ने कहा कि यहां के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। अतिथि शिक्षकों के भरोसे स्कूल चल रहा है। कुल मिलाकर कहे तो स्कूलों में पढ़ाई थोड़ी प्रभावित है। नए विधायक के सवाल पर नागरिक ने कहा कि हमारे विधायक ने बढ़िया काम किया है, अब इस बार उन्हें और ज्यादा वोटों से जीताएंगे।

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