Reported By: Yogendra Barman
,dindori news/ image source: IBC24
Dindori Education Crisis: डिंडौरी: मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला डिंडौरी में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही है। कहीं अस्पताल में स्कूल संचालित हो रहा है, तो कहीं बिना भवन के पाठशालाएं चल रही हैं। हैरानी की बात ये है कि कई जगह बच्चों को झोपड़ी, पेड़ के नीचे या खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग के ही आंकड़ों के मुताबिक जिले में 500 से अधिक स्कूल या तो जर्जर घोषित किए जा चुके हैं या फिर डिस्मेंटल कर दिए गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब भवन तोड़ दिए गए, तो बच्चों की पढ़ाई के लिए स्थायी वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? आज हम आपको दिखाएंगे एक ऐसे ही भवन विहीन सरकारी स्कूल की हकीकत, जहां खुले आसमान के नीचे बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है।
Dindori Education Crisis: ये तस्वीर जिले के मेंहदवानी विकासखंड के नेटी टोला की है। यहां की प्राथमिक शाला पूरी तरह भवन विहीन हो चुकी है। एक साल पहले स्कूल भवन को जर्जर बताकर डिस्मेंटल कर दिया गया, लेकिन इसके बाद कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। नतीजा ये है कि यहां पढ़ने वाले 37 बच्चे कभी झोपड़ी के नीचे, कभी पेड़ की छांव में तो कभी किराए के मकान में पढ़ने को मजबूर हैं।
Dindori Education Crisis: स्कूल में पदस्थ शिक्षक बताते हैं कि भवन टूटने के बाद से अब तक बच्चों को स्थायी रूप से बैठकर पढ़ने की सुविधा नहीं मिल पाई है। तस्वीरों में आप देख सकते हैं लकड़ी के सहारे टंगी एक घड़ी, जो बीते एक साल से समय तो गिन रही है, लेकिन सिस्टम की सुस्ती पर सवाल खड़े कर रही है। जब हमारी टीम मौके पर पहुंची, तो ग्रामीण बड़ी संख्या में स्कूल पहुंच गए। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
नेटी टोला की इस प्राथमिक शाला को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं। इलाके के बीआरसी का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि 37 बच्चों को आज तक एक स्थायी जगह पर बैठकर पढ़ने का मौका नहीं मिला। वहीं मामले में जिला कलेक्टर अंजू पवन भदौरिया ने जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही है।