Gwalior News: पति-पत्नी के तलाक समझौते में वकील ने लगाई रोक, हाईकोर्ट ने भूमिका पर उठाए सवाल, 3 हफ्ते में जवाब मांगा

Gwalior News: पति-पत्नी के तलाक समझौते में वकील ने लगाई रोक, हाईकोर्ट ने भूमिका पर उठाए सवाल, 3 हफ्ते में जवाब मांगा

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  • Publish Date - September 26, 2025 / 03:43 PM IST,
    Updated On - September 26, 2025 / 03:43 PM IST

Gwalior News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • श्योपुर दंपति के तलाक समझौता,
  • वकील ने किया हस्तक्षेप,
  • हाईकोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण,

ग्वालियर: Gwalior News: तलाक के विवादित मामले में पति-पत्नी की सहमति से हुआ समझौता अधिवक्ता के हस्तक्षेप के चलते अटका हुआ है। श्योपुर के एक दंपति द्वारा तलाक के मामले में मध्यस्थता के तहत 10 लाख रुपए स्थायी भरण-पोषण देने का समझौता किया गया था लेकिन प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अंशु गुप्ता ने इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और मध्यस्थता रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।

इस मामले की शिकायत ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच के सामने पेश की गई जहां न्यायालय ने वकील से मध्यस्थता प्रक्रिया में उसकी भूमिका को स्पष्ट करने को कहा है। हाईकोर्ट ने वकील को तीन हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार श्योपुर के इस दंपति ने तलाक के मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए मध्यस्थता का सहारा लिया था।

Gwalior News: समझौते के तहत पति ने 10 लाख रुपए स्थायी भरण-पोषण राशि देने पर सहमति दी थी। परन्तु प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता ने मध्यस्थता प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए समझौता को बाधित कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया को सम्मानित करने और अधिवक्ताओं की भूमिका को परिभाषित करने की जरूरत बताई है ताकि ऐसे विवादों का समय पर समाधान सुनिश्चित किया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है जब वकील का जवाब हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।

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मध्यस्थता प्रक्रिया में अधिवक्ता का हस्तक्षेप क्यों होता है?

मध्यस्थता प्रक्रिया में अधिवक्ता का हस्तक्षेप तब होता है जब वे पक्षकारों के हितों की सुरक्षा के लिए प्रक्रिया की जांच या किसी शर्त पर असहमति जताते हैं।

क्या मध्यस्थता रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है?

हाँ, मध्यस्थता रिपोर्ट पर हस्ताक्षर प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक होता है, लेकिन यदि कोई पक्ष या अधिवक्ता आपत्ति करता है तो प्रक्रिया अटकी रह सकती है।

स्थायी भरण-पोषण के लिए मध्यस्थता में कितना राशि तय होती है?

स्थायी भरण-पोषण की राशि पक्षकारों के बीच सहमति और मध्यस्थता के दौरान तय की जाती है, जैसे इस मामले में 10 लाख रुपए पर सहमति हुई थी।

ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या निर्देश दिए हैं?

ग्वालियर हाईकोर्ट ने अधिवक्ता से मध्यस्थता प्रक्रिया में उसकी भूमिका स्पष्ट करने और तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान विवाद होने पर क्या करें?

यदि मध्यस्थता प्रक्रिया में विवाद हो, तो संबंधित पक्ष उच्च न्यायालय या संबंधित न्यायालय से मध्यस्थता प्रक्रिया के सम्मान और सही निष्पादन की मांग कर सकते हैं।