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ग्वालियर: Gwalior News: तलाक के विवादित मामले में पति-पत्नी की सहमति से हुआ समझौता अधिवक्ता के हस्तक्षेप के चलते अटका हुआ है। श्योपुर के एक दंपति द्वारा तलाक के मामले में मध्यस्थता के तहत 10 लाख रुपए स्थायी भरण-पोषण देने का समझौता किया गया था लेकिन प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अंशु गुप्ता ने इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और मध्यस्थता रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
इस मामले की शिकायत ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच के सामने पेश की गई जहां न्यायालय ने वकील से मध्यस्थता प्रक्रिया में उसकी भूमिका को स्पष्ट करने को कहा है। हाईकोर्ट ने वकील को तीन हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। जानकारी के अनुसार श्योपुर के इस दंपति ने तलाक के मामले को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए मध्यस्थता का सहारा लिया था।
Gwalior News: समझौते के तहत पति ने 10 लाख रुपए स्थायी भरण-पोषण राशि देने पर सहमति दी थी। परन्तु प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता ने मध्यस्थता प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए समझौता को बाधित कर दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यस्थता प्रक्रिया को सम्मानित करने और अधिवक्ताओं की भूमिका को परिभाषित करने की जरूरत बताई है ताकि ऐसे विवादों का समय पर समाधान सुनिश्चित किया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की गई है जब वकील का जवाब हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।