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Gwalior News: ग्वालियर: ग्वालियर जिले में प्रशासन ने “कार्बाइड गन” के निर्माण, विक्रय, खरीद और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। जिला कलेक्टर रूचिका सिंह चौहान ने धारा 163 के अंतर्गत यह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि जिले की सीमा में कोई भी व्यक्ति इस खतरनाक उपकरण का निर्माण या उपयोग नहीं करेगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कार्बाइड गन, जिसे आम बोलचाल में “देसी पटाखा गन” या “जुगाड़ी बम” कहा जा रहा है, देश के कई हिस्सों में एक खतरनाक ट्रेंड बन गया है। खासकर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यह उपकरण बच्चों के बीच एक खतरनाक खेल के रूप में तेजी से फैल रहा है। स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध सामग्रियों से बनाई जाने वाली यह गन विस्फोटक शक्ति उत्पन्न करती है, जो गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन रही है।
Gwalior News: हाल ही में देशभर में ऐसे कई हादसे सामने आए हैं, जहाँ बच्चों की आँखों की रोशनी तक चली गई। कई मामलों में तो बच्चों को स्थायी चोटें आईं, जिससे उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। चिकित्सकों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह “खिलौना” नहीं, बल्कि एक घातक विस्फोटक उपकरण है, जो छोटी सी गलती पर बड़ी त्रासदी में बदल सकता है।
Gwalior News: कलेक्टर रूचिका सिंह चौहान ने अपने आदेश में कहा कि “कार्बाइड गन” का निर्माण, भंडारण, बिक्री या उपयोग पूरी तरह गैरकानूनी माना जाएगा। उन्होंने सभी थानों को निर्देशित किया है कि ऐसे किसी भी मामले की सूचना मिलते ही तत्काल कार्रवाई की जाए। साथ ही, पुलिस और प्रशासन की टीमें दुकानों, बाजारों और ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष निगरानी अभियान भी चलाएँगी, ताकि इस खतरनाक जुगाड़ को जड़ से खत्म किया जा सके।
कलेक्टर ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों को इस तरह के खतरनाक उपकरणों से दूर रखें और उन्हें इस खिलौने जैसी दिखने वाली लेकिन विनाशकारी चीज़ के बारे में जागरूक करें। उन्होंने कहा कि कार्बाइड और पानी की प्रतिक्रिया से उत्पन्न गैस के दबाव से जब यह गन चलती है, तो उसका धमाका बारूद जैसे विस्फोट में बदल जाता है, जिससे आँखों और चेहरे पर गंभीर चोट लग सकती है।
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