नगरीय निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, सरकार ने की आदेश में संशोधन की मांग
OBC आरक्षण मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई! Hearing in SC today on OBC reservation case for urban body elections
भोपाल: SC on OBC reservation देश की सबसे बड़ी अदालत में आज मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के मामले में सुनवाई होगी। मामले राज्य सरकार की ओर से एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन दायर करते हुए मांग की गई है कि 10 मई के आदेश में संशोधन किया जाए। सरकार ने पुनर्विचार आवेदन में 2022 के परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति मांगी है। मामले में आज दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Hearing in SC today on OBC reservation वहीं, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है। चुनाव की तारीख भी आएगी और चुनाव भी होंगे। हम चुनाव रुकवाने नहीं गए हैं, बल्कि मॉडिफिकेशन के लिए गए हैं। नरोत्तम ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगने के पीछे के दो कारण बताए। उन्होंने कहा अगर हम 2019 का परिसीमन लें या फिर 2022 का, इसमें कहीं-कहीं पर नगर पालिका में, ग्राम पंचायत में उसका रूप परिवर्तित हो गया है। स्वरूप बदलने से भ्रम की स्थिति पैदा होगी कि चुनाव नगर पालिका के हिसाब से कराएं या नगर पंचायत के हिसाब से कराएं या ग्राम पंचायत के हिसाब से कराएं। इसलिए समय मांगा गया है।
कांग्रेस नेता ने कही ये बात
वहीं, मामले में कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने ट्वीट कर सरकार की ओर से लगाए गए आवेदन को रद्दी करार दिया है। उन्होंने लिखा है कि आवेदन में 946 पेज में से 860 पेज रद्दी के लायक है। ‘OBC वर्ग को अब SC के निर्देश पर आरक्षण देना संभव नहीं है। OBC वर्ग का आरक्षण खत्म होना सरकार की प्रशासनिक चूक है। प्रत्येक जनपदवार OBC वर्ग को देना होगा अलग-अलग प्रतिशत में आरक्षण’ बाकी है। अभी और बड़ा खुलासा…।
एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन दायर
गौरतलब है, इससे पहले अधूरी रिपोर्ट के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बगैर OBC आरक्षण के ही स्थानीय चुनाव कराने के आदेश दिए थे। उधर, राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है, लेकिन अब सरकार की याचिका मंजूर होने से फिर से संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। सरकार किसी भी हाल में बगैर आरक्षण चुनाव नहीं कराना चाहती, इसलिए उसने आखिरी दांव खेला है।

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