Publish Date - July 17, 2025 / 02:17 PM IST,
Updated On - July 17, 2025 / 02:17 PM IST
Katni News/Image Source: IBC24
HIGHLIGHTS
बारिश ने बिगाड़ा बजट,
सब्जियों के दाम 3 गुना तक बढ़े,
सब्जियों की सप्लाई ठप,
कटनी: Katni News: मध्यप्रदेश में मानसून की दस्तक ने आम जनता की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। बारिश के चलते खेतों से मंडियों तक सब्जियों की आपूर्ति पर असर पड़ा है। कटनी जिले की थोक सब्जी मंडी में डिमांड के मुकाबले सप्लाई बेहद कम हो रही है जिसकी वजह से दाम आसमान पर पहुंच चुके हैं। Katni vegetable prices
Katni vegetable prices थोक सब्जी मंडी के व्यापारियों के मुताबिक राज्य की 75% सब्जियों की आपूर्ति अन्य राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान से होती है। लेकिन बारिश के चलते ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे सब्जियों की आवक बुरी तरह प्रभावित हुई है। वर्तमान में केवल 20 से 25% सब्जी ही स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो पा रही है।
Katni News: यही वजह है कि मशरूम के थोक भाव 12 सौ से 14 सौ प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं, अन्य सब्जियों के दाम भी 2 से 3 गुना तक बढ़ गए हैं।व्यापारियों का मानना है कि जुलाई माह तक राहत की उम्मीद कम है, लेकिन अगस्त में मौसम सुधरने पर दाम कुछ हद तक सामान्य हो सकते हैं।
मानसून के दौरान खेतों से मंडियों तक सब्जियों की आपूर्ति पर असर पड़ता है। बारिश के कारण फसलें खराब होती हैं और ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत आती है, जिससे "सब्जियों के दाम" बढ़ जाते हैं।
कटनी में फिलहाल कौन-कौन सी "सब्जियों के दाम" सबसे ज्यादा बढ़े हैं?
कटनी की मंडियों में मशरूम, टमाटर, हरी मिर्च और भिंडी जैसे उत्पादों के "सब्जियों के दाम" 2 से 3 गुना तक बढ़े हैं। मशरूम का भाव तो ₹1200–₹1400 प्रति किलो तक पहुंच गया है।
क्या "सब्जियों के दाम" अगस्त में कम हो सकते हैं?
व्यापारियों के अनुसार, यदि अगस्त में मौसम सामान्य रहा और ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ठीक हुई, तो "सब्जियों के दाम" कुछ हद तक कम हो सकते हैं।
क्या कटनी में "सब्जियों के दाम" पर स्थानीय उत्पादन का कोई असर है?
हां, लेकिन वर्तमान में केवल 20-25% सब्जियों की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर हो रही है। बाकी सप्लाई अन्य राज्यों से होती है, इसलिए बारिश में स्थानीय आपूर्ति "सब्जियों के दाम" को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है।
क्या यह स्थिति हर साल मानसून में होती है या इस बार कुछ अलग है?
हर साल मानसून में कुछ हद तक "सब्जियों के दाम" बढ़ते हैं, लेकिन इस बार सप्लाई में बड़ी बाधा के चलते भाव असामान्य रूप से अधिक बढ़े हैं।