भ्रष्टाचार खत्म करने की ली शपथ,अब खुद भ्रष्टाचार के मामले में फंसी राजधानी की नव नियुक्त महापौर

New mayor accused of corruption: भ्रष्टाचार खत्म करने की ली शपथ,अब खुद भ्रष्टाचार के मामले में फंसी राजधानी की नव नियुक्त महापौर

भ्रष्टाचार खत्म करने की ली शपथ,अब खुद भ्रष्टाचार के मामले में फंसी राजधानी की नव नियुक्त महापौर

New mayor accused of corruption

Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: August 10, 2022 2:05 pm IST

New mayor accused of corruption: भोपाल। मध्य प्रदेश में नगरिय निकाय चुनाव खत्म हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस को अपने नए पार्षद और महापौर मिल गए है। तो वहीं अभी ज्यादातर जगहों पर महापौर और पार्षद पद औऱ गोपनियता की शपथ भी ले चुके है। इस दौरान राजधानी भोपाल में भी बीजेपी की महापौर मालती रान ने भी पद और गोपनियता की शपथ ली। इस दौरान पहले भाषण में मालती राय ने भ्रष्टाचार को खत्म करने की भी बात कही। लेकिन दूसरे ही दन लोकायुक्त ने उनका सियासी खेल बिगाड़ दिया और 15 साल पहले हुए भ्रष्टाचार की फाइल खोलकर रख दी।

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15 साल पुराना मामला

New mayor accused of corruption: 15 साल पहले हुए भ्रष्टाचार के मामले में सबसे बड़ी बात सामने ये आई कि इस मामले में महापौर मालती राय का नाम भी शामिल है। बता दें, एमपी नगर में सीमेंट-कंक्रीट सड़कों के निर्माण में भाजपा के तत्कालीन 39 पार्षदों को कॉन्ट्रैक्टर को 85 लाख रुपए का अधिक भुगतान करने के मामले में दोषी पाया गया था। वर्तमान महापौर मालती राय भी उस परिषद में पार्षद थीं। इन नोटिस पर 26 जुलाई की तारीख दर्ज है, लेकिन महापौर मालती राय को यह नोटिस उनके शपथ ग्रहण के अगले दिन यानी 7 अगस्त को मिला।

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ये है मामला

New mayor accused of corruption: 2005 में एमपी नगर जोन-2 में विकास कार्य का मामला है। जहां 5 करोड़ 45 लाख 70 हजार से विकास कार्यों में सीसी रोड, पाइप लाइन, सीवेज लाइन का काम होना था। एक कम्पनी ने एसओआर से 7.2 फीसदी कम रेट पर ऑफर दिया। 2 मार्च 2005 की परिषद की बैठक में भाजपा पार्षदों ने इसका विरोध किया। बीजेपी पार्षदों के विरोध के कारण बहुमत के आधार पर टेंडर रद्द हुआ। बाद में फिर टेंडर बुलाया गया। उसी कंपनी ने एसओआर से 8.38 प्रतिशत अधिक का ऑफर दिया गया।

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कांग्रेस विधायक ने की थी शिकायत

New mayor accused of corruption: 10 मई 2005 को हुई परिषद की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। इस कारण नगर निगम को 85 लाख रुपए अधिक भुगतान करने पड़े। इस मामले को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने लोकायुक्त में शिकायत की थी। 30 मार्च 2007 को लोकायुक्त रिपुसूदन दयाल ने रिपोर्ट संभागायुक्त को भेजी थी। लोकायुक्त ने इन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की। साथ ही 85 लाख रुपए की वसूली करने की सिफारिश भी की थी, तब से मामला संभागायुक्त कार्यालय में पेंडिंग है।

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