Kanha Tiger Reserve: अब पालतू हाथियों का भी बनेगा आधार कार्ड! दिया जाएगा खास नंबर, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

Kanha Tiger Reserve: अब पालतू हाथियों का भी बनेगा आधार कार्ड! दिया जाएगा खास नंबर, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

Kanha Tiger Reserve: अब पालतू हाथियों का भी बनेगा आधार कार्ड! दिया जाएगा खास नंबर, जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

Kanha Tiger Reserve | Photo Credit: IBC24

Modified Date: June 18, 2025 / 04:38 pm IST
Published Date: June 18, 2025 4:38 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हर हाथी को मिलेगा विशिष्ट पहचान नंबर
  • साथ में माइक्रोचिप भी लगाई जाएगी
  • तस्करी रोकने में बेहद मददगार होगी

देवेन्द्र चौधरी/मंडला: Kanha Tiger Reserve मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व अपने इस अनूठे पहल के लिए चर्चा में है। यहां के 16 पालतू हाथियों को अब एक विशिष्ट पहचान मिलने वाली है। भारत सरकार भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) देहरादून के माध्यम से जितने भी हाथी हैं। चाहे वे विभागीय प्रबंधन में हों या पालतू हों। इन सबकी डीएनए प्रोफाइलिंग कर रही है और उन्हें एक खास नंबर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होगी जैसे इंसानों के लिए आधार कार्ड तैयार किया जाता है।

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Kanha Tiger Reserve जिससे उनकी पहचान स्थापित हो पाए। हाथियों के इस आधार कार्ड में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज होंगी। इसके लिए हाथियों का सिरिंज से खून निकाला गया है। जो डीएनए प्रोफाइलिंग करेगा। यह हाथियों की आनुवंशिक पहचान स्थापित करने में मदद करेगा। जिससे उनकी वंशावली और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को ट्रैक किया जा सकेगा।

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इसके साथ ही, हर हाथी में एक माइक्रोचिप लगाई जाएगी। जो भविष्य में उनकी ट्रैकिंग और पहचान में सहायक होगी। इतना ही नहीं, हाथियों के चारों तरफ से फोटो लिए जाएंगे। उनकी ऊंचाई, लंबाई और नाखूनों का आकार मापा जाएगा। ये सभी विवरण उनके विशिष्ट आधार कार्ड का हिस्सा बनेंगे। इस अनूठी पहल का मुख्य उद्देश्य कान्हा टाइगर रिजर्व के पालतू हाथियों की सटीक पहचान, उनके स्वास्थ्य की निगरानी और उनके बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।

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इन विशेष नंबरों और डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए हाथियों की अवैध तस्करी या किसी भी तरह के नुकसान की स्थिति में उनकी पहचान करना आसान हो जाएगा। साथ ही, यह उनके प्रजनन रिकॉर्ड और स्वास्थ्य इतिहास को ट्रैक करने में भी मदद करेगा। जिससे उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा। यह कदम निश्चित रूप से वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


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