धर्म-स्वातंत्र्य कानून बने हो गए 1 साल, साल में कानून का कितना असर?

धर्म-स्वातंत्र्य कानून बने हो गए 1 साल, साल में कानून का कितना असर?! Religious-freedom laws have been made in 1 year

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  • Publish Date - January 10, 2022 / 11:58 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में धर्म-स्वातंत्र्य कानून बने एक साल हो गया है। इस एक साल में प्रदेश में 65 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें 107 आरोपी बनाए गए। सबसे ज्यादा मामले लव-जिहाद के दर्ज हुए। जिसमें इंदौर टॉप पर तो राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है, लेकिन इस कानून के तहत दर्ज हुए मुकदमों में पुलिस की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं। गवाह और सबूत की चुनौती के चलते पुलिस ठीक तरीके से जांच नहीं कर पाई, लिहाजा, 35 से ज्यादा आरोपी जमानत पर जेल से बाहर हैं।

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मध्यप्रदेश में लव जिहाद रोकने के लिए बने धर्म-स्वतंत्रेय कानून को एक साल हो चुका है। 9 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश सरकार ने इस कानून को लागू किया था। इस कानून के तहत मध्य प्रदेश में 65 मुकदमे दर्ज हुए। इनमें सबसे ज्यादा मामले लव जिहाद के हैं। मध्यप्रदेश से पहले इस कानून को यूपी सरकार ने लागू किया था। मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला दूसरा राज्य बना। धर्म स्वातंत्र्य कानून लागू होने के बाद जबरन धर्म परिवर्तन के कुल 65 मामले दर्ज किए गए। यानी हर महीने पहचान छिपाकर शादी करने के औसत 5 मामले सामने आए। 65 में से 56 मामले लव जिहाद के और 9 मामले धर्म-परिवर्तन के हैं। इस कानून के तहत दर्ज 65 FIR में 107 आरोपी बनाए गए। सबसे ज्यादा 15 FIR इंदौर जोन में हुई, दूसरे नंबर पर भोपाल रहा जहां 7 मुकदमे दर्ज किए गए। कुल मामले में 35 से ज्यादा आरोपी जमानत पर जेल से बाहर हैं। 36 मामलों में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वहीं, 29 मामलों की जांच जारी है।

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इस कानून के पालन में पुलिस के आगे सबसे बड़ी चुनौती है गवाह और सबूत, जिन्हें खोजना और जुटाना पुलिस के लिए बेहद मुश्किल हो रहा है। गवाह या सबूत के नाम पर पुलिस के पास सिर्फ पीड़िता और ज्यादा से ज्यादा उसके घरवालों के बयान होते हैं। लिहाजा, सबूत और गवाह नहीं होने के चलते आरोपी को आसानी से जमानत मिल जाती है। कानून के जानकार इसकी मिसाल भी देते हैं।

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इस कानून के प्रस्ताव से लेकर लागू होने यहां तक की अब तक सियासत हो रही है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए ये कानून बनाया था। कानून बनने के साल भर बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं मिल सका है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि सख्त कानून की वजह से लव-जिहाद के मामलों में कमी आई है। धर्म स्वातंत्र्य कानून को लेकर भले ही सियासत कभी खत्म ना हो लेकिन इसे लाकर सरकार ने ऐसे लोगों के मन में खौफ तो पैदा किया ही है जो धर्म और नाम छिपाकर दूसरे धर्म की लड़कियों को फांसते थे और बाद में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करते थे।

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