Khargone: यहां के हर कंकर में बसते हैं शंकर, 150 साल से पूरा गांव बना रहा शिवलिंग, विदेशों में भी है मांग

Shivling is made in every house in Bakanwa village देश ही नहीं विदेशों में भी पूजे जाते है। यहां के हर कंकर और पत्थर में शिवलिंग विराजते हैं।

Khargone: यहां के हर कंकर में बसते हैं शंकर, 150 साल से पूरा गांव बना रहा शिवलिंग, विदेशों में भी है मांग

Shivling is made in every house in Bakanwa village

Modified Date: February 17, 2023 / 11:28 am IST
Published Date: February 17, 2023 11:03 am IST

Shivling is made in every house in Bakanwa village : खरगोन। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में विशेष रूप से महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। देखा जाए तो आज पूरे देश में श्रद्धालुओं द्वारा आस्था, श्रद्धा और उमंग के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि पर हर श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना में लीन है। चलिए आपको एक दिलचस्प बात बताते हैं कि खरगोन जिले के नर्मदा किनारे बसे बकांवा गांव में जहां के निर्मित शिवलिंग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पूजे जाते है। यहां के हर कंकर और पत्थर में शिवलिंग विराजते हैं। नर्मदा किनारे बसा बकावां गांव देश का एक मात्र ऐसा गांव है जहां हर घर में शिवलिंग का निर्माण किया जाता है और यहीं के बने नर्मदेश्वर शिवलिंग देश और विदेशों के प्रख्यात शिव मंदिरों में आस्था का केन्द्र बने हुए है।

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ऐसे किया जाता है शिवलिंग का निर्माण

नर्मदा किनारे बसे बकावां गांव के कुशल कारीगर नर्मदा किनारे पत्थरों को एकत्रित कर उसे नाव द्वारा अपने-अपने घरों तक लाकर फिर उन्हें तराशते है। शिवलिंग को तराशने के बाद उसकी कई दिनों तक घिसाई की जाती है। फिर उनकी एक विशेष प्रकार की मशीन द्वारा फिनिशिंग की जाती है। बकावां गांव में एक इंच से लगाकर करीब 25 फीट तक के शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। वहीं एक शिवलिंग को तराशने से लेकर फिनिशिंग और पालिश करने में कुशल कारीगरों को कई दिनों तक अपना पसीना बहाना पडता है। तब कहीं जाकर एक सुंदर आकृति वाले शिवलिंग का निर्माण किया जाकर मंदिरों में स्थापना कर आस्था और विश्वास के साथ पूजा अर्चना की जाती है।

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यहां का शिवलिंग विदेशों में भी है प्रख्यात

बकावां गांव में करीब 100 से अधिक घरों के लोग शिवलिंग निर्माण में जुटे हुए है यहां तक महिलाएं भी इस कार्य में दिन रात जुटी रहती है। यहां के नर्मदेष्वर के नाम से निर्मित शिवलिंग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रख्यात है। बकावां के शिवलिंग देश के कोने-कोने के साथ अमेरिका, कनाडा सहित अन्य देशों में भी भेजे जाते है। साथ ही मप्र के अलावा महाराष्ट्र,राजस्थान,गुजरात,आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू आदि राज्यों में भी श्रद्धालु शिव मंदिरों में स्थापना के लिए बकावा में निर्मित नर्मदेश्वर शिवलिंग को खरीदकर ले जाते है। यही नहीं शिवलिंग का निर्माण करने वाले नामदेव परिवार द्वारा देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई सहित आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर सहित सीहोर वाले प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा को भी बकांवा के निर्मित शिवलिंग भेंट कर चुके है।

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पुरखों के जमाने से किया जा रहा निर्माण

Shivling is made in every house in Bakanwa village : पुरखों के जमाने से शिवलिंग निर्माण कर रहे कारीगर दीपक नामदेव का कहना है कि नर्मदा किनारे पत्थरों का तोड़कर लाते है। बाद में उन्हें तराशने और पांच बार घिसाई के बाद शिवलिंग तैयार होता है। शिवलिंग के निर्माण में उपयोग में लाए जाने वाले पत्थर केवल नर्मदा किनारे स्थित बकावां गांव में ही मिलते है। इन पत्थरों में ओम्, तिलक,माला, नाग और अन्य आकृति अपने आप उभरती है। यहां के शिवलिंग पूरे देश और विदेशों तक भेजे जाते है। दीपक नामदेव और अरविंद नामदेव का कहना है कि अन्य शहरों में भी लोगों द्वारा शिवलिंग बनाने का कार्य किया लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका है। इसी कारण बकावां के लोग इसे भगवान भोलेनाथ का वरदान भी मानते है।

शिवलिंग निर्माण से जुड़े कारीगरों का कहना है कि पूरे विश्व में केवल बकावां में ही शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। जबकि महाराष्ट्र और अन्य राज्यो से पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि बकांवा में निर्मित शिवलिंग पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। यहां नर्मदा नदी से निकलने वाले पत्थरों से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। जो देश में कही भी नहीं होता है। इसीलिए शिव मंदिरों में स्थापना के लिए बकांवा के शिवलिंग ले जाते हैं।

 

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