Supreme Twist on MP Panchayat Election While Hearing in Supreme court

पंचायत चुनाव…सुप्रीम ट्विस्ट! कोर्ट ने पूछा- विकास किशन लाल गवली मामले के फैसले का पालन क्यों नहीं किया गया?

विकास किशन लाल गवली मामले के फैसले का पालन क्यों नहीं किया गया?! Supreme Twist on MP Panchayat Election While Hearing in Supreme court

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:58 PM IST, Published Date : December 17, 2021/10:55 pm IST

भोपाल: Supreme Twist on MP Panchayat Election पंचायत चुनावों के मामले में मध्यप्रदेश सरकार और चुनाव आयोग को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के आधार पर चुनाव करवाने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी सीटों पर चुनाव फिर से नोटिफाई किया जाए और जिन सीटों को ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया था उन्हें सामान्य मानकर चुनाव करवाए जाएं। पंचायत चुनाव के कानूनी लड़ाई में फंसने के बाद ओबीसी आरक्षण ही खत्म हो जाने पर सियासत भी गर्मा गई है।

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Supreme Twist on MP Panchayat Election मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों पर संकट के बादल चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही मंडराने लगे थे। चुनाव में रोटेशन आरक्षण का पालन ना करने और 7 साल पुराने परिसीमन पर चुनाव करवाने को कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। लेकिन जब एमपी हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई से इंकार कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिर याचिकाओं पर सुनवाई की।मध्यप्रदेश के पंचायत चुनाव की याचिकाएं महाराष्ट्र के ओबीसी रिजर्वेशन से जुड़े मामले के साथ सुनी जा रहीं थीं। पुराने परिसीमन और आरक्षण पर बहस होती इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र मामले पर आए अपने आदेश का पालन एमपी में ना होने पर ऐतराज जता दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि महाराष्ट्र के विकास किशन लाल गवली मामले में ओबीसी आरक्षण पर आए उसके फैसले का मध्यप्रदेश में पालन क्यों नहीं किया गया? इसी के साथ कोर्ट ने पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण देने पर रोक लगा दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
ओबीसी सीटों पर चुनाव फिर से नोटिफाई किया जाए।
OBC वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य मानकर चुनाव करवाए जाएं।
ओबीसी वर्ग की आबादी के सही आंकड़ों के बिना उन्हें कोटा दिया गया है जो गलत है।
ओबीसी आरक्षण के मामले पर सरकार आग से ना खेले।
मध्यप्रदेश में चुनाव संवैधानिक दायरे में ही करवाए जाएं।
कानून का पालन नहीं होगा तो भविष्य में चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं।
राजनीतिक मजबूरियों के आधार पर फैसले मत कीजिए।

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क्या हर राज्य का अलग पैटर्न होगा? सिर्फ एक संविधान है और आपको उसका पालन करना होगा। चुनाव आयोग का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है, हम नहीं चाहते कि मध्यप्रदेश में कोई प्रयोग हो। इधर मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्य़यन कर रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी अभी जारी नहीं हुई है, लेकिन शीर्ष अदालत की इन अहम टिप्पणियों पर राजनीति भी गर्मा गई। कांग्रेस के याचिकाकर्ता सैयद जाफर जहां इसे अपनी जीत मान रहे हैं तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस चुनाव से भाग रही है।

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सियासी आरोपों-प्रत्यारोपों के अलग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बड़े गहरे मायने हैं। SC के आदेश के मुताबिक अब चुनाव आयोग को ओबीसी आरक्षित सीटों को अनारक्षित सीटों में बदलना होगा और पंचायत चुनावों की अधिसूचना फिर से जारी करनी होगी। ऐसे में अब तय समय सीमा में पंचायत चुनाव करवाना बड़ी चुनौती होगी। लेकिन पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण ना मिलने पर राजनीतिक दल जनता को क्या जवाब देते हैं ये देखना दिलचस्प होगा।

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