स्वामी रामभद्राचार्य के बयान ने पकड़ा तूल, भाजपा ने किया समर्थन, तो कांग्रेस ने सोच को बताया घटिया

Swami Rambhadracharya Big Statement : तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा दिए गए बयान के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है।

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  • Publish Date - April 14, 2023 / 12:00 PM IST,
    Updated On - April 14, 2023 / 12:00 PM IST

भोपाल : Swami Rambhadracharya Big Statement : तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा दिए गए बयान के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां भाजपा नेता इन उनके बयां का समर्थन किया है, तो वहीं कांग्रेस ने उनके इस बयान को गलत ठहराया है। इस बयान के बाद से दोनों पार्टियों के बीच एक नया विवाद उत्पन्न होते दिख रहा है।

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भाजपा ने किया समर्थन

Swami Rambhadracharya Big Statement :  तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य के ब्यान का समर्थन करते हुए भाजपा नेता उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि, उनका बयान बिलकुल ठीक है। उन्होंने आगे कहा रामायण काल को देखिये निषादराज, सबरी यह उदाहरण है, समरसता तो रही है और काम का बटवारा था। यही भारत की मूल संस्कृति है और यही मूल भाव है। व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण इसमें विषमता बढ़ती गई। भाजपा नेता गुप्ता ने कहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हमेशा सामाजिक समरसता का पक्षधर रहा है।

कांग्रेस ने सोच को बताया घटिया

Swami Rambhadracharya Big Statement :  वहीं तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता विनय बाकलीवाल ने रामभद्राचार्य की सोच को घटिया बताया है। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस मरते दम तक बाबा साहब के दिखाए रास्ते पर चलेगी। बाबा सोहब अंबेडकर ने संविधान लिखा है। नेहरू की महत्वाकांक्षा ने भारत का विभाजन कैसे करवाया। ये तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य की फूटी सोच है कि वो संविधान के निर्माता के लिए ऐसी राय रखते हैं।

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क्या कहा था स्वामी रामभद्राचार्य ने

Swami Rambhadracharya Big Statement :  बता दें कि, जबलपुर गुरूवार को तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य का जबलपुर में आगमन हुआ था। जहां उन्होंने बयान देते हुए कहा कि कुर्सी के भेड़ियों ने समाज में विरसता का बीज बोया है। भारत में कुर्सी समरसता पहले से थी लेकिन कुर्सी के भेड़ियों ने विरसता लाई।

पहले देश में जाति वर्ण था जातिवाद नहीं था। जातिवाद के आधार पर किसने झगड़े करवाए। आजादी के बाद जाति आधारित आरक्षण ना होता तो देश में कोई झगड़ा ही न होता। साथ ही कहा कि देश के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू की महत्वाकांक्षा ने भारत का विभाजन करवाया। मजहब के आधार पर विभाजन हुआ है। हमने तो समरसता बरती।

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भारत में रहना है तो रघुवर और यदुवर के बनकर रहो। भारत में बाबर के बनकर रहोगे तो यह नहीं होगा। स्वामी जी ने आगें कहा कि आज आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। जाति के आधार पर आरक्षण न हो। प्रतिभा की हत्या ना हो।

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