MP में ‘यात्रा’ युद्ध.. किसका चलेगा दांव? 2023 से पहले मध्यप्रदेश में यात्रा वाली राजनीति रंग लाएगी?

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MP में ‘यात्रा’ युद्ध.. किसका चलेगा दांव? 2023 से पहले मध्यप्रदेश में यात्रा वाली राजनीति रंग लाएगी?

traveling politics in Madhya Pradesh

Modified Date: November 29, 2022 / 08:01 pm IST
Published Date: November 23, 2022 11:45 pm IST

भोपालः traveling politics in Madhya Pradesh मध्यप्रदेश में इन दिनों यात्रा युद्ध चल रहा है। एक तरफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का शोर है तो दूसरी ओर सीएम शिवराज भी यात्रा पर निकल पड़े हैं। खास बात ये कि दोनों दलों के टारगेट पर आदिवासी बाहुल्य इलाके हैं। प्रदेश के खंडवा जिले में पंधाना तहसील का ये गांव इस वक्त मध्यप्रदेश की सियासत का केंद्र बन चुका है। इसकी दो वजहें है एक तो ये गांव आदिवासियों के राबिन हुड टंट्या मामा की जन्मस्थली है और दूसरा 24 घंटे के अंदर यहां देश की सियासत के दो अहम किरदार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दस्तक देंगे। यही वो जगह है जहां से शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्यप्रदेश में प्रवेश को वेलकम गिफ्ट दिया। बुधवार को मुख्यमंत्री ने यहां पेसा जागरुकता सम्मेलन में शामिल हुए और पूरे भाषण में सिर्फ एक बार कांग्रेस का जिक्र किया। उनका पूरा फोकस जनता को पेसा एक्ट की खूबियां बताने पर ही रहा लेकिन आखिरी में आदिवासियों को मजबूत करने की बात कह कर अपने इरादे साफ कर दिए।

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traveling politics in Madhya Pradesh बुधवार को सीएम ने खंडवा बड़ौदा अहीर से हुंकार भरी तो गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोपहर में यहां पहुंचेंगे। वे यहां टंट्या मामा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने बाद आमसभा को संबोधित भी करेंगे, दरअसल कांग्रेस और बीजेपी इन कार्यक्रमों को सियासी नजर से देखे तो ये पूरी तरह से उस आदिवासी वोट बैंक के इर्द गिर्द दिखता है जिनकी मध्यप्रदेश में 47 सीटें है। इसके अलावा 40 और सीटें ऐसी है जहां आदिवासी वोट बैंक प्रभावी है। पिछले चुनावों में आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों में से 31 सीटें कांग्रेस की झोली में गई थी जिसका कमलनाथ सरकार बनने में अहम योगदान था। जाहिर है अब कांग्रेस इस वोट बैंक को अपने पास से जाने नहीं देना चाहती।

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मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए एससी और एसटी समुदाय का साथ दोनों ही पार्टियों के लिए अहम है। इन दोनों के लिए कुल 82 सीटें आरक्षित है। ऐसे में जब बीजेपी 50 फीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत का लक्ष्य लेकर चल रही हो या फिर कांग्रेस जिसे अभी भी इन पर पूरा भरोसा है अपनी ताकत लगा रही है पिछले साल जनजातीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और जबलपुर में हुए कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह शिरकत कर चुके हैं वहीं कांग्रेस हर आदिवासी बाहुल्य जिले में बड़े सम्मेलन की तैयारी में है।


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।