जनजातीय गौरव दिवस…सम्मान Vs सियासत! आदिवासी वोटर्स पर है सबकी नजर

जनजातीय गौरव दिवस...सम्मान Vs सियासत!! Tribal Pride Day...Samman Vs Politics! All eyes are on tribal voters

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  • Publish Date - November 6, 2021 / 11:53 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

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भोपाल: सियासत में मैथमेटिक्स और कैमिस्ट्री के संतुलन से जीत का फार्मूला तय होता है। चुनाव कोई भी हो अलग-अलग समाज और वर्गों को जिसने साध लिया, जीत उसे ही मिलती है और इसी सियासी गणित को साधने सत्तारूढ़ बीजेपी मध्यप्रदेश में चालें चलनी शुरू कर दी है। खासकर उसकी नजरें आदिवासी वोटर्स पर है। लिहाजा 15 नवंबर को बीजेपी जनजातीय गौरव दिवस मनाने जा रही है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस तंज कस रही है कि पीएम मोदी आए या कोई और आदिवासी हमेशा कांग्रेस के साथ रहेंगे, क्योंकि बीजेपी केवल अवसरवादी राजनीति करती है।

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मध्यप्रदेश में इन दिनों सत्तारुढ़ बीजेपी का पूरा फोकस आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने पर है। इस कड़ी में बीजेपी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने जा रही है, जिसका ऐलान विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। 15 नवंबर को भोपाल के जंबूरी मैदान में बीजेपी एक कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इसके अलावा बीजेपी ने पूरे प्रदेश से 2 लाख आदिवासियों को बुलावा भेजा है। जनजातीय गौरव दिवस मनाने के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है।

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दरअसल प्रदेश के 84 विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल 34 सीट पर जीत मिली थी। जबकि 2013 में 59 सीटों पर उसका कब्जा था। आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी को पिछले चुनाव में आदिवासी बाहुल्य 25 सीटों पर नुकसान हुआ। जाहिर है इतने बड़े नुकसान के बाद अब बीजेपी आदिवासी जनाधार को वापस अपने पाले में लाने की कोशिश में जुट गई है।

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जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आदिवासियों की गौंड, भील, कोल और सहरिया को अधिक संख्या में बुलाने का निर्णय लिया गया है, इसके पीछे भी सियासी गणित है। दरअसल एमपी की कुल जनसंख्या की करीब 20 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। जनगणना 2011 के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 43 आदिवासी समूह हैं। इनमें भील-भिलाला आदिवासी समूह की जनसंख्या सबसे ज्यादा 60 लाख है। इसके बाद गोंड समुदाय का नंबर आता है, जिनकी आबादी 51 लाख हैं। इसके बाद कोल 12 लाख, कोरकू 6 लाख और सहरिया सवा 6 लाख के आसपास हैं। जाहिर है साल 2018 के चुनावों में आदिवासियों की इन चार जातियों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था।

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बहरहाल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासी बाहुल्य शहडोल, मंडला और धार में सभाएं करेंगे। इन सभाओं में आदिवासी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा शिवराज कैबिनेट में मंत्री विजय शाह, बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह मौजूद रहेंगे। कुल मिलाकर सत्तारूढ़ बीजेपी की कोशिश है कि वक्त रहते आदिवासियों के बीच बढती नाराज़गी को खत्म कर गेंद अपने पाले में की जाए, क्योंकि अगला विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है।

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