Ujjain News: ‘बेटी नहीं, बेटा थी मेरी आरती’, शिप्रा हादसे में 68 घंटे बाद मिला महिला कॉन्स्टेबल का शव, राजकीय सम्मान के साथ विदाई

Ujjain News: 'बेटी नहीं, बेटा थी मेरी आरती', शिप्रा हादसे में 68 घंटे बाद मिला महिला कॉन्स्टेबल का शव, राजकीय सम्मान के साथ विदाई

Ujjain News: ‘बेटी नहीं, बेटा थी मेरी आरती’, शिप्रा हादसे में 68 घंटे बाद मिला महिला कॉन्स्टेबल का शव, राजकीय सम्मान के साथ विदाई

Ujjain News/Image Source: IBC24

Modified Date: September 10, 2025 / 01:46 pm IST
Published Date: September 10, 2025 1:46 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कर्तव्य पर शहीद हुई आरती पाल,
  • मां ने कहा- वो बेटों से बढ़कर थी,
  • राजकीय सम्मान के साथ विदाई

उज्जैन: उज्जैन में शिप्रा नदी हादसे में जान गंवाने वाली महिला कॉन्स्टेबल आरती पाल को बुधवार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। हादसे के 68 घंटे बाद उनका शव कार के पिछले हिस्से से बरामद हुआ। आरती सात भाइयों की इकलौती बहन थीं। मां शीला पाल ने कहा “वह हमारी बेटी नहीं, बेटा थी।” हादसा और तलाश 6 सितंबर की रात उन्हेल थाना प्रभारी अशोक शर्मा, एसआई मदनलाल निनामा और कॉन्स्टेबल आरती पाल की कार तेज बहाव में शिप्रा नदी में गिर गई थी।

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रविवार को टीआई अशोक शर्मा का शव मिला। सोमवार को एसआई मदनलाल निनामा का शव घटनास्थल से करीब 3 किलोमीटर दूर मिला। मंगलवार को कार के पिछले हिस्से से 68 घंटे बाद आरती का शव निकाला गया। भाई की रस्म में शामिल होकर लौटी थीं ड्यूटी रतलाम निवासी आरती पाल (40) परिवार में सात भाइयों की इकलौती बहन थीं। उनके बड़े भाई जितेंद्र पाल (45) का 30 जुलाई को बीमारी से निधन हो गया था। इसके बाद परिवार में सवा माह की रस्में चल रही थीं। 4 सितंबर को वह धूप-ध्यान की रस्म में शामिल होने घर आई थीं। परिवार संग बैठते हुए उन्होंने दादाजी के श्राद्ध में आने का वादा भी किया था। लेकिन 5 सितंबर की शाम ड्यूटी पर लौट गईं और अगले ही दिन हादसा हो गया।

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मां की आंखों से छलके दर्द मां शीला पाल ने कहा “आरती पूरे परिवार की जान थी। सात भाइयों की इकलौती बहन होने के बावजूद बेटों से बढ़कर थी। हमेशा मुस्कुराकर सबको संभालती थी। वह मां और काकी में फर्क नहीं करती थी, हर बात काकी को बताती थी।” चचेरे भाई गौरव ने कहा “दीदी हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती थीं। घर की ढाल थीं।” समर्पण और जिम्मेदारी का जीवन आरती ने 2012 में पुलिस विभाग जॉइन किया था। पहली पोस्टिंग उज्जैन के महाकाल थाने में मिली थी। पिछले 4 साल से उन्हेल थाने में पदस्थ थीं। पिता अशोक कुमार पाल कलेक्ट्रेट से रिटायर्ड अधीक्षक हैं। मां शीला गृहिणी और छोटा भाई लोकेंद्र स्टाम्प वेंडर है।

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भाई जितेंद्र के निधन के बाद उनकी पत्नी नीतू और 12 वर्षीय बेटे तव्य की जिम्मेदारी भी आरती निभा रही थीं। आरती ने शादी नहीं की थी। पिता ने मकान भी उनके नाम कर रखा था। वह पूरी तरह परिवार और नौकरी को समर्पित थीं। राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार बुधवार सुबह उज्जैन के चक्र तीर्थ पर आरती का अंतिम संस्कार किया गया। छोटे भाई लोकेंद्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान एडीजी उमेश जोग, डीआईजी नवनीत भसीन, एसपी प्रदीप शर्मा और कलेक्टर रोशन सिंह सहित प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। कलेक्टर रोशन सिंह ने कहा “जिला प्रशासन और राज्य सरकार शोकाकुल परिवारों के साथ खड़ी है। हर संभव मदद दी जाएगी। ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए गंभीर चर्चा की जा रही है।”

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एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा “आरती पाल का परिवार रतलाम का रहने वाला है। परिवार की इच्छा के अनुसार अंतिम संस्कार उज्जैन में ही किया गया। यदि परिवार की ओर से अनुकंपा नियुक्ति की मांग आती है, तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।” परिवार और पुलिस विभाग की शहादत आरती पाल न सिर्फ पुलिस विभाग की कर्तव्यनिष्ठ सिपाही थीं, बल्कि अपने परिवार की रीढ़ भी थीं। मां के लिए बेटा, भाइयों के लिए संबल और भतीजे के लिए सहारा थीं। उनकी असमय मौत ने पूरे परिवार और विभाग को गहरे शोक में डाल दिया है।


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लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।