शातिर कैदियों ने जेल से ही खाली कर दिए Bank खाते, प्रशासन को भी नहीं लगी भनक, अब उठ रहे है सवाल, जानिए क्या है पूरा माजरा

Vicious prisoners emptied bank accounts from jail itself, the administration did not even know

Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: October 27, 2021 11:49 pm IST

भोपालः मध्य प्रदेश की कुछ जेलों में पैसों से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। जेल में कैद सजायाफ्ता कैदियों ने डिजिटल फ्रॉड के जरिए बैंक खाते ही खाली कर दिए। जबकि जेल के दस्तावेजों में कैदियों के बैंक खाते भरे हुए दिख रहे हैं। कोरोनाकाल में कैदियों की इस करतूत ने जेल महकमे पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। साथ ही एक सवाल और भी कि आज खाता खाली किया है कल कोई और कांड भी कर सकते हैं।

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राजधानी भोपाल की जेल में सजायाफ्त कैदियों ने अपने खाते ही खाली कर दिए। जी हां.. हैरान करने वाली इस खबर की पीछे की कहानी जानकर आप भी चौंक जाएंगे। दरअसल इस धांधली का खुलासा होने के बाद भोपाल सेंट्रल जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने सभी कैदियों की पैरोल रोक दी और चुपके से परिजनों को हिदायत दी कि जितना पैसा था, वो बैंक में जमा करा दिया जाए। जेल सूत्रों की मानें तो इन कैदियों के कुछ परिवार तो ऐसे हैं, जो ये रकम बैंक में भरने की स्थिति में नहीं हैं। अब हालात ये है कि जेल विभाग सवालों के घेरे में है। कांग्रेस का कहना है कि मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जेल अफसरों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

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दरअसल कोरोना काल में जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों को बारी-बारी से कुछ समय के लिए पैरोल पर छोड़ा गया। जिसके बाद कैदियों ने कियोस्क वालों के जरिए और डिजिटिल फ्रॉड के जरिए बैंक खाते खाली कर दिए.। ऐसे करीब 50 ऐसे कैदी हैं। वहीं जेल मकहमे को इसकी खबर तक नहीं।

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कैदी बृजकिशोर, प्रमोद, विक्रम को जुर्माना भरना था। कोर्ट ने 10 हजार रु जुर्माने का आदेश दिया था। जेल अधीक्षक ने रकम के लिए बैंक को पत्र लिखा। पता चला कैदी विक्रम का बैंक अकाउंट खाली है। इस फर्जीवाड़े से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। जब मामला गृह और जेल मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पास पुहंचा तो उन्होंने जांच के आदेश दिए। कैदियों के डिजिटल फ्रॉड को लेकर जेल विभाग से रिटायर्ड अधिकारी का कहना है कि जेल अधीक्षक की मुहर के बाद ही कोई पैसा निकलता है। कहीं न कहीं बैंक या फिर जेल विभाग की लापरवाही तो है।

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भोपाल सेंट्रल जेल पर लापरवाही की बंदिशों पर लगाम नहीं लग पा रही है। ये बहुत बड़ी लापरवाही है। अभी कैदियों ने खजाना खाली किया, कल कुछ बड़ा कांड भी कर सकते हैं। ऐसे में इस पर कड़ी कार्रवाई और निगरानी की जरूरत है।

 


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।