विक्रम पुरस्कार विवाद : पाटीदार की याचिका खारिज, डेहरिया को अलंकरण मिलने का रास्ता साफ

विक्रम पुरस्कार विवाद : पाटीदार की याचिका खारिज, डेहरिया को अलंकरण मिलने का रास्ता साफ

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  • Publish Date - December 8, 2025 / 10:19 PM IST,
    Updated On - December 8, 2025 / 10:19 PM IST

इंदौर, आठ दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट को 2017 में फतह करने वाले पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने राज्य के शीर्ष खेल अलंकरण ‘विक्रम पुरस्कार’ पर वरिष्ठता के आधार पर दावा किया था।

अदालत ने इसके साथ ही फैसला सुनाया है कि माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली राज्य की अन्य पर्वतारोही भावना डेहरिया को साहसिक खेलों की श्रेणी में 2023 का विक्रम पुरस्कार प्रदान किए जाने के निर्णय में राज्य सरकार ने कोई चूक नहीं की है। डेहरिया ने 2019 में माउंट एवरेस्ट फतह किया था।

उच्च न्यायालय ने सभी संबद्ध पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद अपना फैसला 18 नवंबर को सुरक्षित रख लिया था जिसे सोमवार (आठ दिसंबर) को सुनाया गया।

इससे पहले, पाटीदार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने डेहरिया को यह पुरस्कार प्रदान किए जाने पर पांच अगस्त को अंतरिम रोक लगा दी थी। अदालत ने यह स्थगन आदेश मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्य सरकार के शिखर खेल अलंकरण समारोह के आयोजन के चंद घंटे पहले जारी किया था।

इंदौर के निवासी पाटीदार की ओर से उच्च न्यायालय में कहा गया कि पर्वतारोहण के क्षेत्र में वरिष्ठता के आधार साहसिक खेलों की श्रेणी में विक्रम पुरस्कार नियमानुसार उन्हें दिया जाना चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने उनके ज्ञापन पर कोई फैसला किए बगैर डेहरिया को यह पुरस्कार देने की घोषणा कर दी।

हालांकि, दस्तावेजों पर गौर के बाद न्यायालय ने पाया कि पाटीदार का एवरेस्ट आरोहण 2017 का है जो मध्यप्रदेश पुरस्कार नियम 2021 के अनुसार निर्धारित पांच वर्ष की पात्रता अवधि से बाहर है।

इन नियमों के मुताबिक साहसिक खेलों की श्रेणी में वे खिलाड़ी पुरस्कार के आवेदन के लिए पात्र होते हैं जिन्होंने पिछले पांच सालों में साहसिक खेल गतिविधियों में निरंतर भाग लेते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ विशेष उपलब्धियां अर्जित की हों।

इस आधार पर अदालत ने कहा कि आठ साल पहले एवरेस्ट फतह करने वाले पाटीदार 2023 के विक्रम पुरस्कार के लिए पात्र ही नहीं थे, इसलिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उनका दावा खारिज किए जाने का फैसला सही है।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने सभी संबद्ध पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद कहा कि डेहरिया को साहसिक खेलों की श्रेणी में विक्रम पुरस्कार प्रदान करने के राज्य सरकार के फैसले में अदालत को कोई भी त्रुटि नहीं दिखती। एकल पीठ ने कहा,‘‘नतीजतन याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।’’

अदालत में पाटीदार का पक्ष अंकुर तिवारी ने रखा, जबकि डेहरिया की पैरवी अनुनय श्रीवास्तव ने की।

‘विक्रम पुरस्कार’, राज्य का सबसे बड़ा खेल अलंकरण है जिसे 1972 से प्रदान किया जा रहा है। अलग-अलग खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 वरिष्ठ खिलाड़ियों को ‘विक्रम पुरस्कार’ से नवाजा जाता है।

‘विक्रम पुरस्कार’ से सम्मानित किए जाने वाले हर खिलाड़ी को दो लाख रुपये और स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाता है। ‘विक्रम पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करके शासकीय सेवा में नियुक्ति भी दी जाती है।

भाषा हर्ष

राजकुमार

राजकुमार