भोपाल: Face To Face एमपी में सभी 29 सीटों पर मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी में 2 अलग-अलग स्थिति नजर आ रही है। एक तरफ जीतू पटवारी हैं। जो लोकसभा चुनाव से ठीक 4 महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष बने थे वो हार की पूरी जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने को तैयार हैं, तो दूसरी तरफ कमलनाथ हैं। जिनका पूरा फोकस केवल एक सीट पर था लेकिन अब कमलनाथ, छिंदवाड़ा में मिली हार स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और कह रहे हैं कि जनता बहक गई। तो क्या हार के लिए अब जनता दोषी है?
Face To Face जिस छिंदवाड़ा की जनता ने कमलनाथ और उनके परिवार को 45 साल तक जिताया। उस जनता के लिए कमलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा की जनता बहक गई। साथ ही ये भी जोड़ा कि छोटे-छोटे लोगों को बड़े-बड़े पैसे दिए गए, पैसे और प्रशासन का दुरुपयोग हुआ।
एमपी में कांग्रेस की स्थिति भी अजब है। कांग्रेस के जूनियर मोस्ट लीडर और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ना चाहते हैं। जबकि उनकी ताजपोशी को अभी 4 महीने भी नहीं हुए हैं, तो इधर सीनियर मोस्ट लीडर कमलनाथ इकलौती छिंदवाड़ा सीट में मिली हार की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर लेने को तैयार नहीं हैं।
हालांकि कांग्रेस नेता अब भी कमलनाथ को जस्टिफाई करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जबकि बीजेपी को तंज कसने का मौका मिल गया है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी पहली बार एमपी की सभी 29 सीटें हार गई और तब से लेकर अब तक कांग्रेस नेताओं के बयान ने भी पार्टी के अंतर्विरोध को खुलकर सामने ला दिया है। एमपी कांग्रेस में जूनियर बनाम सीनियर की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है और नेताओं की गुटबाजी ने अब पार्टी का पूरी तरह से बंटाधार कर दिया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल पहले ही बिना नाम लिए कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की खबरों से कांग्रेस का नुकसान होने का दावा कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने जीतू पटवारी और उमंग सिंघार पर निशाना भी साधा है और इस्तीफे पर विचार करने की मांग कर चुके हैं।
हालांकि CWC की बैठक में मध्यप्रदेश में हुई करारी हार पर विशेष कमेटी बनाकर हार की समीक्षा करने का फैसला हुआ है। जिसके बाद आलाकमान जिम्मेदारों पर एक्शन लेगा, लेकिन सवाल तो ये है कि क्या एक्शन केवल जीतू पटवारी और उमंग सिंघार के खिलाफ लिए जाएंगे या फिर जिम्मेदारी सामूहिक होगी या फिर बादशाहों को बचाने के लिए प्यादों को शहीद कर दिया जाएगा।