भोपालः पहले खरगोन में रामनवमी पर पत्थरबाजी,भोपाल से आंतकियों का पकड़ा जाना फ़िर शाजापुर में पार्षद की जीत के बाद उसकी रैली में पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे लगाना और अब निशंक की मौत की उलझी गुत्थी। बार-बार ये इशारा क्यों कर रहा है कि देश में कहीं भी कुछ भी क्यों न हो उसकी आंच मध्यप्रदेश तक ज़रुर पहुंचती है? जबकि हमारा एमपी तो पूरे देश में शांति के टापू के नाम से मशहूर है। अपनी सोच तो गंगा जमुनी तहजीब वाली है..फिर सर तन से जुदा वाली ये सोच हमारे एमपी में कहां से आ गई, कैसे आ गई? ज़रुरी नहीं की निशंक की मौत के पीछे इसी मानसिकता का हाथ हो क्योंकि क्लीयर तो तभी होगा जब एसआईटी की रिपोर्ट आएगी पर जो प्राइमा फेशी नज़र आता है। वो त कम से कम यहीं बता रहा है।
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भोपाल के बरखेडा के पास रेलवे ट्रैक पर निशंक का शव मिलने के बाद सामने आए मोबाइल मैसेज ने पुलिस को उलझा दिया है। दरअसल निशंक की मौत के बाद उसका मोबाइल कोई और चला रहा था, इंस्टाग्राम पोस्ट भी किया गया, जिसमें निशंक की तस्वीर पर क्रास का चिन्ह बना हुआ था और सिर तन से जुदा वाला नारा लिखा हुआ था. अब निशंक की मौत से पहले का CCTV फुटेज सामने आया है. 24 जुलाई की शाम 5 बजे पेट्रोल डलवाने का वीडियो है। जबकि शाम करीब 6 बजकर 10 मिनट पर निशंक की मौत बताई जा रही है।
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फिलहाल पुलिस निशंक की मौत की हर एंगल से जांच कर रही है। शार्ट पीएम रिपोर्ट में निशांक की ट्रेन से कटकर मौत होने की बात सामने आई है। जबकि परिजनों का कहना है कि निशंक की हत्या हुई क्योंकि उसने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। निशांक की मौत सुसाइड है या फिर साजिश, सस्पेंस बरकरार है। इधर गृहमंत्री ने मामले की जांच SIT से कराने के निर्देश दे दिये हैं।
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निशंक की संदिग्ध मौत के बाद ‘सर तन से जुदा’ वाले मैसेज और पिता के आरोपों से पूरे प्रकरण में कई सवाल उठ रहे हैं। छात्र की मौत में क्या कोई सांप्रदायिक एंगल है? फिलहाल जो साक्ष्य नजर आ रहे हैं उसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा वैसे शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ऐसी घटनाओँ का लिंक पुराना नाता है। शाजापुर में कथित तौर पर देश विरोधी नारा लगाने की बात हो या फिर खरगोन में रामनवमी जुलूस में पथराव या फिर राजधानी भोपाल में आतंकियों की गिरफ्तारी की घटना..सब यही इशारा करते हैं कि एमपी में देश विरोधी हवा नयी बात नहीं है।
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