शह मात The Big Debate: रॉयल्टी चेक का तमाशा..अति उत्साह या हताशा? क्या ऐसे कांग्रेस का सत्ता का वनवास खत्म होगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

MP News: रॉयल्टी चेक का तमाशा..अति उत्साह या हताशा? क्या ऐसे कांग्रेस का सत्ता का वनवास खत्म होगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - September 18, 2025 / 11:27 PM IST,
    Updated On - September 18, 2025 / 11:27 PM IST

MP News | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शहडोल में सड़क पर डंपर रोककर रॉयल्टी पूछी
  • बीजेपी ने पटवारी पर "गैर जिम्मेदाराना व्यवहार" का आरोप लगाया
  • कांग्रेस समर्थक इसे जनता के लिए पटवारी का संघर्ष मान रहे हैं

भोपाल: MP News मध्य प्रदेश कांग्रेस के जो नेता हैं अध्यक्ष हैं जीतू पटवारी वो संभवत अभी तक इस भाव से बाहर नहीं आ पाए कि वो यूथ कांग्रेस या एनएसयूआई के नेता नहीं है। वो स्टूडेंट लीडर नहीं है। उनका अपक्ष जब से वो प्रदेश अध्यक्ष बने हैं लगातार अगर आप देखें होंगे उनके अंदर की गंभीरता। तो वो उस तरह से नहीं दिख रहे जिस तरह की परिपक्वता आवश्यक है। इतनी बड़ी पार्टी के नेता के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर रहने वाले व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए। वैसी दिखती नहीं।

MP News कल शहडोल में उन्होंने एक सड़क पर चल रहे डंपर को रोका और ऊपर चढ़ गए। रॉयल्टी पूछने लगे। पूछने के अंदाज से लगा कि साहब बहुत मालूमात उनको होंगे। हालांकि नहीं थे। घबरा गए तो फिर उन्होंने पुलिस वाले से पूछा रॉयल्टी ऑनलाइन आती है क्या? बताओं जरा यह सब पूछ के आपने तमाशे सब देखे होंगे और बाद में पता लगा कि सारे कागज वो डंपर के दुरुस्त थे। कोई चूक नहीं थी।

आज कटनी में खाद की दुकान में पहुंच गए। वहां भी छोटे कर्मचारियों से उन्होंने बहस किया। इसके अलावा आपने बहुत सारे उनके वीडियो देखे होंगे वायरल होते हैं। कभी वो एसपी को कॉल कर देते हैं स्पीकर में। फजीहत एसपी की करा देते हैं। क्योंकि एसपी प्रोटोकॉल के तहत सर सर सर सर तो बोल ही देता है कि बड़ी पार्टी विपक्ष के नेता है तो इतना तो आदर दिया जाए। तो क्या बीजेपी इसी वजह से सहज है क्योंकि जो विपक्ष है वो उतना आक्रामक नहीं है और उसकी लाइन लेंथ वैसी नहीं है जैसी आक्रामकता जरूरी है।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी जंग कोई नई बात नहीं है, लेकिन इन दिनों कुछ अलग तरह की ही राजनीति एमपी में देखने को मिल रही है। सड़क पर डम्फर रोककर उसकी रेत की रॉयल्टी पूछते प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी जैसे खनिज विभाग की सारी बारीकियां इन्हें कंठस्थ हैं। मगर फिर अटके पुलिस वाले को बुलाकर पूछा। क्या रायल्टी ऑनलाइन आती है उसने कहा हाँ, तो गड़बड़ी पकड़ने का भार पुलिसवाले पर ही डाल दिया और पटवारी के अंदाज कोई नए नहीं हैं। कुछ दिनों पहले छिंदवाड़ा में पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कलेक्टर के ज्ञापन लेने न आने पर कुत्ते को ज्ञापन दे दिया था। यानी तेवर ऐसे जैसे नेता होने के चलते सारे अधिकार इनके ही पास हैं और ये किसी से भी सवाल जवाब कर सकते हैं और अब पटवारी खुद की पीठ थपथपाते हुए रॉयल्टी चेकिंग को जायज ठहरा रहे हैं।

जीतू पटवारी ने जहां डंफर की रॉयल्टी- चेक के जरिए, सरकार को घेरने की कोशिश करते नजर आए, तो बीजेपी ने पटवारी के रॉयल्टी चेक पर जमकर निशाना साधा और दो टूक कह दिया कि-आप रॉयल्टी चेक करने वाले कौन होते हो? बीजेपी नेताओं ने ये तक कह दिया कि- वो छुटभैया नेताओं जैसा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहे हैं और कांग्रेस में सीएम फेस की दावेदारी को लेकर कलह मची है। बीजेपी ने जहां जीतू की घेराबंदी करते हुए एक के बाद एक नसीहतों के कई बाण चलाए, तो कांग्रेस पटवारी के समर्थन में कसीदे गढ़ते नजर आई।

कुलमिलाकर कांग्रेस नेतृत्व को देखकर ऐसा लगता है कि जीतू पटवारी और उमंग सिंघार अभी तक अपने युवा कांग्रेस कार्यकर्ता वाली इमेज से बाहर नहीं आ पाए हैं..और सोशल मीडिया के इस भौकाल पर बीजेपी आक्रामक है… सवाल ये है कि एंग्री यंग मैन जैसी भूमिका युवक कांग्रेस नेताओं पर फबती है या सूबे की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पर? होना ये चाहिए था कि यदि सरकार को अवैध माइनिंग पर घेरना है, तो पूरे होमवर्क के साथ बड़े खुलासे वाले पेपर लेकर प्रेस कॉन्फ्रेस करते सरकार को घेरते, लेकिन पटवारी अपनी प्रदेश अध्यक्ष जैसी भूमिका को समझने की बजाय वीडियो बनवाकर वाह-वाही लूट रहे हैं, तो क्या इन तौर तरीकों से कांग्रेस का 20 सालों से चल रहा वनवास खत्म होगा?

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जीतू पटवारी ने डंपर क्यों रोका था?

उन्होंने अवैध खनन और रॉयल्टी चेकिंग के नाम पर डंपर रोका, लेकिन बाद में कागज सही पाए गए।

बीजेपी का इस पर क्या रिएक्शन रहा?

बीजेपी ने पटवारी को "छुटभैया नेता" बताते हुए उनके इस व्यवहार को गैर जिम्मेदाराना कहा।

कांग्रेस क्या कह रही है?

कांग्रेस का दावा है कि पटवारी जनता के मुद्दों पर आवाज उठा रहे हैं और सरकार की नाकामी उजागर कर रहे हैं।