मुंबई, चार नवंबर (भाषा) यहां की एक अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मोहित कंबोज और कई अन्य लोगों के खिलाफ एक केंद्रीय बैंक को 103 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के संबंध में धोखाधड़ी के मामले को बंद करने का अनुरोध किया गया।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जयवंत यादव ने 23 अक्टूबर के एक आदेश में कहा कि प्रथमदृष्टया, सभी आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला पूरी तरह से साबित हुआ था।
आदेश की प्रति शनिवार को उपलब्ध हो पाई।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी), 417, 420, 467, 468 और 471 (साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी) के तहत दंडनीय अपराध किए गए प्रतीत होते हैं, लेकिन की गई जांच पर्याप्त नहीं है। यह अधूरी है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपियों के आपराधिक कृत्य की जांच की आवश्यकता है क्योंकि जाली दस्तावेजों के जरिए सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया और राष्ट्रीयकृत बैंक (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की गई।’’
अदालत ने ‘क्लोजर रिपोर्ट’ खारिज करने के साथ सीबीआई को आगे जांच करने और उचित रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
जांच एजेंसी के अनुसार, टेनेट एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कंबोज और कई अन्य लोगों ने कथित तौर पर क्रेडिट सुविधा का लाभ उठाने के लिए झूठे दस्तावेज जमा करके सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 103 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
सीबीआई ने मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष एक ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दाखिल की जिसमें कहा गया कि उसकी जांच में कोई गलतबयानी सामने नहीं आई है। एजेंसी ने मामले को बंद करने का अनुरोध किया क्योंकि कंपनी और उसके निदेशकों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूतों की कमी थी।
अदालत ने अपने आदेश में गवाहों के बयानों का हवाला दिया और कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि आरोपियों ने सामान की झूठी बिक्री, खरीद के फर्जी दस्तावेज बनाए तथा उन्हें बैंक में जमा किया। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया, यह माना जा सकता है कि आरोपी व्यक्तियों ने बैंक से ऋण लेने के लिए जाली दस्तावेजों को प्रस्तुत किया।
भाषा आशीष पवनेश
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