महाराष्ट्र 2025 : ठाकरे बंधुओं का गठबंधन, स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति की बढ़त रही चर्चा में

महाराष्ट्र 2025 : ठाकरे बंधुओं का गठबंधन, स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति की बढ़त रही चर्चा में

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  • Publish Date - December 26, 2025 / 04:49 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 04:49 PM IST

( मनीषा रेगे )

मुंबई, 26 दिसंबर (भाषा) अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पूर्व, 20 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ आना, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का स्थानीय चुनावों में प्रदर्शन के दम पर सत्ता पर पकड़ मजबूत करना और विपक्ष की खुद को मजबूत करने की कोशिश 2025 में महाराष्ट्र की राजनीति के प्रमुख घटनाक्रम रहे।

करीब 20 साल पहले उद्धव ठाकरे से मतभेदों के चलते अविभाजित शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बनाने वाले राज ठाकरे ने 24 दिसंबर को उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन की घोषणा की। यह गठबंधन 15 जनवरी को होने वाले मुंबई महानगरपालिका सहित 28 नगर निगमों के अहम चुनावों के मद्देनजर किया गया।

नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में भारी जीत के बाद पांच दिसंबर को सत्ता में एक वर्ष पूरा करने वाली भाजपा नीत सरकार ने विवादों, दल-बदल और सहयोगी दलों शिवसेना व राकांपा के बीच समय-समय पर तनाव के बावजूद अपेक्षाकृत स्थिरता बनाए रखी।

दिसंबर में हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन ने 207 नगराध्यक्ष पद और 4,422 सीटें जीतीं, जबकि विपक्ष का कमजोर प्रदर्शन उसकी सांगठनिक कमियों को उजागर करता दिखा।

दिसंबर 2024 में मस्साजोग के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या से वर्ष की शुरुआत हुई, जिसने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी। इस मामले में मुख्य आरोपी वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी के चलते उनके करीबी और राकांपा नेता धनंजय मुंडे के मंत्रिमंडल से इस्तीफे ने कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेर लिया।

राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हवाला देते हुए पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करने के फैसले पर भी विवाद हुआ। व्यापक विरोध के बाद सरकार ने फैसला वापस लिया और तीन-भाषा सूत्र के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए अर्थशास्त्री नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में समिति गठित की।

इन झटकों के बावजूद भाजपा, शिवसेना और राकांपा के ‘महायुति’ गठबंधन ने अपना दबदबा बनाए रखा। विधानसभा चुनावों में दूसरे स्थानों पर रहे विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के 43 उम्मीदवार वर्ष के दौरान सत्तारूढ़ खेमे में शामिल हो गए, जिससे विपक्ष और कमजोर पड़ा।

राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। यह महाराष्ट्र में उसका अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। शिवसेना और राकांपा को क्रमशः 57 और 41 सीटें मिलीं और गठबंधन के पास कुल 235 सीटें रहीं।

एमवीए के लिए 2025 पिछले वर्ष की चुनावी हार के बाद संभलने का साल रहा। सरकार से जुड़े विवादों को भुनाने के प्रयासों के बावजूद गठबंधन में एकजुटता का स्पष्ट संदेश नजर नहीं आया। हिंदी भाषा को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में उद्धव और राज ठाकरे का एक मंच साझा करना राजनीतिक अस्तित्व की रणनीति के तौर पर देखा गया। बाद में राज ठाकरे ने कथित ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ विपक्षी प्रदर्शन में भी भाग लिया। हालांकि कांग्रेस ने मनसे की प्रवासी-विरोधी बयानबाजी का हवाला देते हुए उससे दूरी बनाए रखी।

मार्च में नागपुर में औरंगजेब से जुड़े एक ढांचे को हटाने की मांग को लेकर सांप्रदायिक तनाव भी देखने को मिला, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। विपक्ष ने इसे पुलिस की विफलता करार दिया।

मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे के नेतृत्व में फिर से आंदोलन तेज हुआ। सरकार द्वारा पात्र मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए हैदराबाद गजट लागू करने के कदम पर ओबीसी संगठनों ने आपत्ति जताई।

सरकार ने ‘लाडकी बहिन’ जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया, जबकि विपक्ष ने मासिक सहायता बढ़ाने और कर्ज माफी जैसे वादों के अधूरे रहने का आरोप लगाया। सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भी समय-समय पर तनाव उभरा, खासकर मंत्रिमंडल बैठकों के बहिष्कार और सीट-बंटवारे को लेकर।

आर्थिक मोर्चे पर 2024-25 में राज्य में 1.64 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दर्ज किया गया जो पिछले वर्ष से 32 प्रतिशत अधिक बताया गया।

साल के अंत में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों, खासकर एशिया की सबसे समृद्ध मानी जाने वाली बृहन्मुंबई महानगरपालिका के चुनावों पर ध्यान केंद्रित रहा। कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की, जबकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने नए चेहरों को तरजीह देने के संकेत दिए। अंततः 24 दिसंबर को शिवसेना (यूबीटी) और मनसे ने गठबंधन की घोषणा कर राजनीतिक अटकलों पर विराम लगा दिया।

वर्ष के दौरान शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ द्वारा कैंटीन कर्मचारी से मारपीट और मंत्री संजय शिरसाट से जुड़े कथित आयकर मामलों जैसे विवाद भी सुर्खियों में रहे। दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने राकांपा विधायक माणिकराव कोकाटे को आंशिक राहत दी।

इस साल पूर्व लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल, कांग्रेस नेता शालिनीताई पाटिल और पूर्व मंत्री सुरूपसिंह नाइक के निधन से भी राज्य की राजनीति में शोक की लहर रही।

भाषा मनीषा नरेश

नरेश