एनआईए ने वाजे की नजरबंदी याचिका का विरोध करते हुए कहा- जेल से छूटने पर हो सकते फरार

एनआईए ने वाजे की नजरबंदी याचिका का विरोध करते हुए कहा- जेल से छूटने पर हो सकते फरार

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  • Publish Date - October 26, 2021 / 06:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

मुंबई, 26 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बंबई उच्च न्यायालय में मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाजे की उस याचिका का विरोध किया है जिसमें उन्होंने तलोजा जेल से अस्थायी रूप से रिहा कर घर में ही नजरबंद करने का अनुरोध किया है। एजेंसी ने कहा कि वाजे ‘ बहुत प्रभावशाली व्यक्ति हैं’ और उन्हें अगर जेल से रिहा किया गया तो वह फरार हो सकते हैं और ‘अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।’’

उच्च न्यायालय में मंगलवार को दाखिल हलफनामे में एनआईए ने कहा कि वाजे, कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या की साजिश में हिस्सेदार होने और उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास विस्फोटकों से लदे वाहन को रखने सहित ‘गंभीर अपराधों’ के आरोपी हैं।

एजेंसी ने हलफनामा में कहा, ‘‘अगर याचिकाकर्ता को घर में ही नजरबंद करने की अनुमति दी जाती है तो बहुत संभव है कि आरोपी याचिकाकर्ता इस अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र से फरार हो जाए और वह उसके साथी रहे और अब सुरक्षा में रखे गए गवाहों सहित अभियोजन के गवाहों को प्रभावित कर सकता है।’’

एनआईए ने कहा, ‘‘ आरोपी याचिकाकर्ता के लिए उन गवाहों का पता लगाना मुश्किल नहीं होगा, भले ही यह तथ्य है कि उनकी पहचान और पते गुप्त रखे गए हैं, लेकिन मुंबई में आरोपी याचिकाकर्ता बहुत प्रभावशाली व्यक्ति है।’’

उल्लेखनीय है कि एनआईए ने यह हलफनामा वाजे की याचिका के जवाब में दाखिल किया है। वाजे ने अपनी याचिका में बाईपास सर्जरी के बाद की देखभाल के लिए न्यायिक हिरासत को (घर में)नजरबंदी में तब्दील करने का अनुरोध किया है। उन्होंने पूरी तरह ठीक होने तक घर में ही नजरबंद रखने का अनुरोध किया है।

एनआईए ने याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे में कहा कि ऑपरेशन के बाद वाजे की जरूरत के मुताबिक सुविधाएं नवी मुंबई के तलोजा जेल में उपलब्ध हैं और जरूरत पड़ी तो उन्हें मुंबई के सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया जा सकता है।

वाजे ने अपनी याचिका में एल्गार परिषद मामले में आरोपी वरवरा राव का उदाहरण दिया है जिन्हें इस साल फरवरी में अदालत ने बढ़ती उम्र और खराब होती सेहत की वजह से चिकित्सा के आधार पर अंतरिम जमानत दी है।

इसपर एनआईए ने जवाबी हलफनामे में कहा कि वाजे का मामला राव से अलग है। राव को चिकित्सा के आधार पर जमानत दी गई है जबकि वाजे न्यायिक हिरासत को नजरबंदी के रूप में जारी रखने को कह रहे हैं।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ ने मंगलवार को वाजे के वकील रौनक नाइक को उनके मुवक्किल की सर्जरी के बाद की चिकित्सा रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने जेल के अधिकारियों को भी वाजे की नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अब इस मामले में पर अगले महीने सुनवाई होगी।

भाषा धीरज अनूप

अनूप