महाराष्ट्र के गांव के किसान वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात जाने से हताश

महाराष्ट्र के गांव के किसान वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात जाने से हताश

Modified Date: September 19, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: September 19, 2022 8:56 pm IST

पुणे, 19 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के पुणे जिले में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) अधिसूचित इलाके में स्थित अम्बाले गांव के लोग वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात जाने से हताश हैं क्योंकि पहले उनके गांव में इस परियोजना को लगाने का प्रस्ताव था।

उनका मानना है कि परियोजना में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने की क्षमता है और इसे गुजरात नहीं जाने देना चाहिए था।

स्थानीय किसानों ने वडगांव मावल स्थित तहसीलदार कार्यालय तक मोर्चा निकाला और मांग की कि परियोजना को वापस उसके मूल स्थान पर लाया जाए।

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वेदांता-फॉक्सकॉन द्वारा पिछले सप्ताह गुजरात सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

अम्बाले गांव के सरपंच मोहन घोलाप ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘परियोजना के लिए जमीन अम्बाले गांव के आसपास के इलाकों के अंतर्गत आती है। हमारे गांव के आसपास करीब 1400 एकड़ जमीन की जरूरत परियोजना के लिए है और भूमि अधिग्रहण का कार्य चल रहा था। एमआईडीसी ने पहले ही प्रस्तावित परियोजना के निशान इन जमीनों पर लगाने का कार्य शुरू कर दिया था।’’

उन्होंने दावा किया कि अबतक किसानों को अधिग्रहित जमीन के एवज में कुल 150 करोड़ रुपये का भुगतान मुआवजे के रूप में किया जा चुका है।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक बाकी बची जमीन का सवाल है तो किसान उसे देने को तैयार थे, लेकिन अचानक परियोजना गुजरात स्थानांतरित कर दी गई।’’ सरपंच ने बताया कि 73 लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया है।

घोलाप ने बताया कि मुआवजे के वितरण का काम नयी सरकार (एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार)के सत्ता में आने से पहले से शुरू हो गया था। ग्रामीणों को बताया गया था कि भूमि अधिग्रहण वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना के लिए किया जा रहा है।

घोलाप ने कहा, ‘‘वेदांता और एमआईडीसी के अधिकारी दो-तीन बार सर्वेक्षण करने के लिए आए थे। करीब छह महीने पहले एक मौके पर हमने (किसानों और भूमि स्वामियों) अधिकारियों से मुलाकात की थी और उन्होंने बताया था कि जमीन परियोजना के लिए उपयुक्त है। उन्होंने संयंत्र यहीं स्थापित करने की इच्छा जताई थी।’’

भाषा

धीरज नरेश

नरेश


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