Pune Leopard Attack News: आखिर किसान क्यों पहन रहे हैं गले में कांटो का पट्टा ?.. किस बात का है इन्हें खौफ?.. देखें हैरान कर देने वाली तस्वीर

बढ़ती दहशत में अब ग्रामीणों ने अपनी गर्दन तक हथियार बना लिया है कीले लगे कॉलर पहनकर, लोहे की ग्रिल और बिजली की बाड़ के सहारे वोअपनी जान बचाने की जंग लड़ रहे हैं। डर इतना गहरा है कि वे हर सुबह और शाम जब खेतों में निकलते हैं, तो कभी नहीं जानते कि अगला कदम उनकी किस्मत बदल देगा।

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  • Publish Date - November 22, 2025 / 11:04 AM IST,
    Updated On - November 22, 2025 / 11:05 AM IST

Pune Leopard Attack News / Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • ग्रामीणों ने कीलों वाली कॉलर पहनना शुरू किया।
  • कई घरों में लोहे की ग्रिल और बिजली की बाड़।
  • वन विभाग ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए AI और ध्वनि चेतावनी।

Pune Leopard Attack News: पुणे: पुणे जिले में तेंदुए के हमले की घंटनाएँ बढ़ती दिखाई दे रही है इसी के चलते शिरूर तहसील के पिंपरखेड गाँव के ग्रामीणों ने अनूठा लेकिन डरावना सुरक्षा उपाय अपनाया है। आइये जानते हैं इस हैरान कर देने वाली घटना के पीछे का सच क्या है।

खुद की जान बचाने के लिए शिरूर तहसील के पिंपरखेड में भयभीत ग्रामीणों ने खेतों में काम करते समय अपनी गर्दन के चारों ओर तेज कीलों से सुसज्जित बेल्ट या कॉलर पहनना शुरू कर दिया है इसके अलावा ये लोग अपने घरों के चारों ओर लोहे की ग्रिल लगाकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। कॉलर और लोहे की ग्रिल के साथ कई घरों ने एहतियात के तौर पर अपने घरों के चारों ओर बिजली की बाड़ भी लगा दी है।

ग्रामीणों में तेंदुए का खौफ

ग्रामीणों का दावा है कि बार-बार तेंदुए के दिखने और हाल ही में हुए कई हमलों के कारण, विशेष रूप से सुबह और देर शाम के समय, नियमित बाहरी गतिविधियां जोखिमपूर्ण हो गई हैं। ग्रामीणों का ये भी कहना है कि सुबह और शाम दोनों समय तेंदुए अक्सर खेतों में आते हैं और गर्दन पर हमला करते हैं।  ग्रामीण विट्ठल रंगनाथ जाधव ने बताया कि वो हर दिन एक तेंदुआ देखते हैं और एक महीने पहले उनकी मां भी तेंदुआ का शिकार हो गई थी। उन्होंने एक न्यूज़ एजेंसी (एएनआई) को बताया कि हाल ही में एक लड़की भी तेंदुए के हमले में मारी गई थी।

Pune Leopard Attack News: पिछले कुछ हफ्तों में इस इलाके में गंभीर घटनाएं हुई हैं जिस पर जाधव ने कहा कि, “हम तेंदुओं के डर से अपने गले में ये कॉलर पहने हुए हैं। तेंदुए कभी भी यहाँ आ सकते हैं। हमें खुद को बचाना है। इसलिए हम ये पहनते हैं। खेती ही हमारी आय का एकमात्र स्रोत है। हम तेंदुए के हमले के डर से घर पर नहीं बैठ सकते। हमें हर दिन एक तेंदुआ दिखाई देता है। एक महीने पहले, मेरी माँ एक तेंदुए का शिकार हो गईं। उनसे पहले, एक छोटी बच्ची को तेंदुए ने मार डाला था।”

अपनी माँ के साथ हुए हमले का वर्णन करते हुए ग्रामीण ने कहा कि उन्हें करीब एक किलोमीटर तक गन्ने के खेतों में घसीटा गया। उन्होंने सरकार से पिंपरखेड़ गांव के निवासियों की समस्या के समाधान के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया।

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ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा के लिए क्या असामान्य उपाय अपनाए हैं?

पिंपरखेड गांव के ग्रामीण खेतों में काम करते समय कीलों वाले स्पाइक कॉलर पहनते हैं और अपने घरों के चारों ओर लोहे की ग्रिल और बिजली की बाड़ लगा रहे हैं।

तेंदुए हमलों की वजह से ग्रामीणों को डर क्यों है?

ग्रामीणों का दावा है कि तेंदुए अक्सर गन्ने के खेतों में दिखाई देते हैं विशेषकर सुबह और शाम के वक्त और गर्दन पर हमला करते हैं, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा रहता है।

वन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

वन विभाग ने पिंपरखेड और आसपास के गांवों में AI‑आधारित अलर्ट सिस्टम और ध्वनि आधारित चेतावनी यंत्र लगाए हैं, ताकि तेंदुओं की मौजूदगी का पता चल सके और उन्हें दूर भगाया जा सके।