‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना निराशाजनक और खतरनाक: एफटीआईआई छात्र संगठन

‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना निराशाजनक और खतरनाक: एफटीआईआई छात्र संगठन

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  • Publish Date - August 4, 2025 / 09:49 AM IST,
    Updated On - August 4, 2025 / 09:49 AM IST

पुणे, चार अगस्त (भाषा) भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के एक छात्र संगठन ने ‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि फिल्म को इसके लिए चुना जाना ‘‘न केवल निराशाजनक है, बल्कि खतरनाक भी है।’’

फिल्म निर्माता सुदीप्तो सेन ने ‘द केरल स्टोरी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता। इस फिल्म को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ ‘सिनेमेटोग्राफी’ का पुरस्कार भी मिला।

इस फिल्म में आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट द्वारा केरल में महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराए जाने और उन्हें अपने संगठन में शामिल कराए जाने की कहानियों का चित्रण किया गया है जिससे फिल्म को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।

एफटीआईआई छात्र संघ ने दो अगस्त को एक बयान में कहा कि ‘द केरल स्टोरी’ कोई फिल्म नहीं बल्कि एक हथियार है।

उसने कहा, ‘‘सरकार ने एक बार फिर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है: अगर सिनेमा के नाम पर प्रचार उसके बहुसंख्यकवादी, नफरत भरे एजेंडे से मेल खाता है, तो वह उसे पुरस्कृत करेगा। ‘द केरल स्टोरी’ कोई फिल्म नहीं, बल्कि एक हथियार है। यह एक झूठा विमर्श है जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय और एक ऐसे राज्य को बदनाम करना है जो ऐतिहासिक रूप से सांप्रदायिक सद्भाव, शिक्षा और प्रतिरोध के लिए खड़ा रहा है।’’

बयान में कहा गया कि इस फिल्म को पुरस्कार देने का निर्णय ‘‘निराशाजनक ही नहीं, बल्कि खतरनाक भी है।’’

उसने कहा, ‘‘जब कोई सरकारी संस्था अल्पसंख्यकों के खिलाफ गलत सूचना और भय फैलाने वाली फिल्म को बढ़ावा देती है, तो वह केवल ‘‘कला को ही मान्यता’’ नहीं दे रही होती, बल्कि हिंसा को भी वैध बना रही होती है। वह भविष्य में भीड़ द्वारा हत्या की घटनाओं, सामाजिक बहिष्कार और राजनीतिक भेदभाव की पटकथा लिख रही होती है।’’

छात्र संगठन ने इस बात की भी निंदा की कि सिनेमा को सरकार प्रायोजित सांप्रदायिकता के एक उपकरण में बदला जा रहा है।

भाष्ज्ञा सिम्मी गोला

गोला