(Navratri Day 3, Image Credit: instagram)
रायपुर: Navratri Day 3: शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का बड़ा महत्व है। यह रूप शांति, साहस और कल्याण का प्रतीक माना गया है। बाघ पर सवार मां का तेजस्वी स्वरूप भक्तों को निर्भय बनाता है, वहीं उनका सौम्य रूप शांति और सुख प्रदान करता है।
बुधवार, 24 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। स्वर्ण के समान चमकते शरीर वाली मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, जिससे इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ। दस भुजाओं वाली देवी के हाथों में विभिन्न शस्त्र हैं और उनके गले में सफेद पुष्पों की माला रहती है। युद्ध के लिए सदा तत्पर होने पर भी इनका स्वरूप भक्तों के लिए करुणामयी और सौम्य है। मान्यता है कि मां ने अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा है।
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद मां को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें धूप, दीप, चंदन, सिंदूर, पुष्प अर्पित करें और केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं। सफेद कमल, लाल गुड़हल और गुलाब की माला चढ़ाना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान भक्त यह मंत्र ‘ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः’ का जाप करें।
मां चंद्रघंटा की आराधना करने से भक्त को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है। उनके आशीर्वाद से सारे पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं। साथ ही साधक में साहस, निर्भयता, विनम्रता और सौम्यता का विकास होता है। उसके व्यक्तित्व में तेज, आकर्षण और मधुरता बढ़ जाती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा में सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है।