Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur: पहाड़ों पर विराजमान है मां विजयासन देवी, 400 साल पहले बंजारों ने की ​थी इस मं​दिर की स्थापना | Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur

Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur: पहाड़ों पर विराजमान है मां विजयासन देवी, 400 साल पहले बंजारों ने की ​थी इस मं​दिर की स्थापना

Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur: पहाड़ों पर विराजमान है मां विजयासन देवी, 400 साल पहले बंजारों ने की ​थी इस मं​दिर की स्थापना

Edited By :   Modified Date:  April 4, 2024 / 07:37 PM IST, Published Date : April 4, 2024/7:37 pm IST

Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur: सलकनपुर। छत्तीसगढ़ के जिले सीहोर के रेहटी में विंध्य की मनोहारी पहाड़ी पर विजयासन देवी का मंदिर है। सलकनपुर मंदिर के नाम से ये विख्यात है। वैसे तो सालभर यहां श्रद्धालु यहां आते हैं लेकिन नवरात्रि पर मंदिर की छटा निराली होती है। ये आस्था और श्रद्धा का शक्ति पीठ है। मां का मंदिर लगभग 4 हजार फीट की उंचाई पर है।

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विजयासन देवी की यह प्रतिमा लगभग 4 सौ साल पुरानी और स्वयंभू मानी जाती है। पौराणिक मान्यता है कि दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी अवतार के रूप में देवी ने इसी स्थान पर रक्तबीज नाम के राक्षस का वध कर विजय प्राप्त की थी। फिर जगत कल्याण के लिए इसी स्थान पर बैठकर उन्होंने विजयी मुद्रा में तपस्या की थी। इसलिए इन्हें विजयासन देवी कहा गया।

विजयासन धाम चमत्कारों का द्वीप

सलकनपुर का विजयासन धाम चमत्कारों का द्वीप है। यहां विश्वास का दीप अनवरत जलते रहता है। सलकनपुर का पूरा इलाका आध्यात्म की दिव्य आभा से आलोकित नज़र आता है। ये वो धाम है, जहां श्रद्धालु मोक्ष और ज्ञान की खोज में पहुंचते हैं। यहां कई पुरातन निशानियां मौजूद हैं, जिनसे इसके सुनहरे अतीत का पता चलता है। मंदिर परिसर का एक एक पत्थर इतिहास के पन्ने पलटता है। मंदिर का कण-कण देवी की कहानियां सुनाता है। इस धाम के बारे में कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने सबसे पहले यहां के बंजारा जाति के लोगों को दर्शन दिया था। यहां देवी की भक्ति सबसे पहले बंजारा जाति के लोगों ने शुरू की थी। उन्होंने ही यहां उनकी पूजा-अर्चना शुरू कर सलकनपुर को धर्म नगरी के तौर पर प्रतिष्ठित किया।

श्रद्धालुओं का मन भर उठता है अद्भुत शांति से…

सलकनपुर शक्ति धाम का इतिहास बहुत पुराना है। इसके 400 सालों तक के इतिहास की जानकारी मिलती है। लेकिन उसके पहले के इतिहास के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि 400 साल पहले भी यहां देवी दुर्गा की पूजा की जाती थी। सलकनपुर के बारे में कहा जाता है कि देवी भगवती का यहां पदार्पण हुआ था। देवी भगवती ने इसी पर्वत पर तपस्या की थी।

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Vindhyavasini Mata Temple Salkanpur: इसी दौरान भगवती ने यहां रक्त-बीज नाम के दानव का वध किया था। तब से इस स्थान को विजयासन देवी के नाम से भी जाना जाता है और आज भी ये स्थान सलकनपुर के साथ-साथ विजयासन देवी के स्थान के नाम से जाना जाता है। सलकनपुर देवी धाम आस्था की समृद्धि और वैभव का जीवंत गवाह है। मंदिर का प्रांगण अलौकिकता से परिपूर्ण है, जिसके कारण यहां प्रवेश करते ही मन अद्भुत शांति से भर उठता है।

 

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